प्रदेश में बिजली संकट की आशंकाओं के बीच कम बारिश के चलते पानी का भी संकट पैदा हो सकता है। एक जनवरी से 27 फरवरी के बीच सामान्य के मुकाबले 62 प्रतिशत कम बारिश हुई है। संकट को देखते हुए पेयजल विभाग ने एक्शन प्लान बनाना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, एक जनवरी से 27 फरवरी के बीच 99.1 मिमी बारिश होनी चाहिए थी लेकिन हुई महज 37.3 मिमी। जल संस्थान की सीजीएम नीलिमा गर्ग के मुताबिक पेयजल किल्लत से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश में मंगलवार को केंद्रीय कोटे से मिल रही 300 मेगावाट अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति बंद हो जाएगी। इससे बिजली का संकट भी बढ़ सकता है।
अल्मोड़ा और पौड़ी में आपूर्ति बड़ी चुनौती
इस बार अल्मोड़ा और पौड़ी जिले में पानी का ज्यादा संकट हो सकता है। पौड़ी में सामान्य से 83 प्रतिशत और अल्मोड़ा में सामान्य से 76 प्रतिशत कम बारिश रिकॉर्ड की गई है।
बन रहा एक्शन प्लान
पेयजल विभाग पेयजल संकट से निपटने को एक्शन प्लान बना रहा है। विभाग के अनुसार हर साल पेयजल किल्लत वाले स्थानों को चिन्ह्ति कर उनके लिए विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है। पिछले साल की तरह दुर्गम गांवों तक खच्चरों से पेयजल आपूर्ति के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है। जरूरत पड़ने पर जल संस्थान निजी टैंकरों से भी आपूर्ति करा सकता है। जल्द ही यह एक्शन प्लान अस्तित्व में आ जाएगा।
प्रदेश में सामान्य से 62 प्रतिशत कम बारिश
प्रदेश में इस सीजन में अब तक सामान्य से 62 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग के मुताबिक, एक जनवरी से 27 फरवरी तक प्रदेश में 99.1 मिमि बारिश के सापेक्ष केवल 37.3 मिमी बारिश ही हुई है। सामान्य के मुकाबले, अल्मोड़ा में 76, बागेश्वर में 79, चमोली में 59, चंपावत में 73, देहरादून में 43, पौड़ी में 83, टिहरी में 55, हरिद्वार में 79, नैनीताल में 76, पिथौरागढ़ में 80, रुद्रप्रयाग में 54, ऊधमसिंह नगर में 49 और उत्तरकाशी में 38 प्रतिशत कम बारिश हुई है।
सीजन में 62 प्रतिशत कम हुई बारिश, बिजली के साथ पैदा हो सकता है पानी का संकट
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