बागेश्वर। बोर्ड परीक्षा के लिए छात्र-छात्राओं पर मानसिक दबाव रहता है। विद्यार्थी सालभर कड़ी मेहनत कर अधिकतम अंंक पाना चाहते हैं लेकिन कीमू, डौला और तीख आदि दूरस्थ क्षेत्र के विद्यार्थियों को परीक्षा के दौरान पढ़ाई के साथ ही कई चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। उन्हें परीक्षा में भागीदारी करने से पहले दो से तीन घंटे पैदल चलना पड़ रहा है। हिमालयी क्षेत्र के गांवों में रहने वाले इन विद्यार्थियों को रास्ते की परेशानी और मौसम की मार झेलते हुए परीक्षा केंद्र तक पहुंचना पड़ता है। आजादी के अमृत काल तक भी यातायात सुविधा न मिलने का दंश वहां के लोगों के साथ ही विद्यार्थी भी भुगत रहे हैं।
आजकल हो रही बोर्ड परीक्षा के लिए जिले में 51 केंद्र बनाए गए हैं। इनमें से कुछ केंद्रों तक पहुंचने के लिए परीक्षार्थियों को 10 किमी से अधिक पैदल चलना पड़ रहा है। कपकोट विकासखंड के बिचला दानपुर में हिमालयी क्षेत्र से सटे कीमू गांव में हाईस्कूल और इंटर कॉलेज नहीं हैं। कीमू के विद्यार्थी पिथौरागढ़ जिले की सीमा से सटे राइंका रातिरकेटी और राजकीय हाईस्कूल गोगिना में पढ़ते हैं। गोगिना हाईस्कूल का परीक्षा केंद्र राइंका रातिरकेटी है। कीमू के विद्यार्थियों को परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए रोजाना 12 किमी तक चलना पड़ रहा है। सुबह 10 बजे शुरू हो रही परीक्षा के लिए परीक्षार्थी सुबह सात बजे घर से निकल रहे हैं। कपकोट के राइंका बदियाकोट और राइंका सोराग में बने परीक्षा केंद्र तक पहुंचने के लिए तीख और डौला के विद्यार्थियों को सात से आठ किमी तक चलना पड़ रहा है। अंतिम गांव बोरबलड़ा के विद्यार्थी बदियाकोट में ही किराये के कमरे में परीक्षा देने के लिए मजबूर हैं।
भगदानू, दाबू, हड़ाप, लमचूला की और विकट कहानी
बागेश्वर। गढ़वाल मंडल के चमोली जिले से सटे लाहुर घाटी क्षेत्र के विद्यार्थियों की चुनाैती भी कम नहीं है। दाबू, हड़ाप, भगदानू और लमचूला दाबू के विद्यार्थी राजकीय हाईस्कूल लमचूला और राजकीय हाईस्कूल जखेड़ा में पढ़ते हैं। राजकीय हाईस्कूल लमचूला परीक्षा केंद्र नहीं है। इसलिए उनका परीक्षा केंद्र सलानी में है। दाबू, हड़ाप और भगदानू से सलानी की दूरी 20 से 22 किमी, जबकि लमचूला से सलानी की दूरी 18 किमी है। परीक्षार्थियों को सुबह छह बजे ही घर से चलना पड़ रहा है। परीक्षा केंद्र पहुंचने में करीब चार घंटे का समय लग रहा है। दूरस्थ केंद्र तक पहुंचने के लिए जंगली रास्ता बड़ी चुनौती है। कहीं उबड़-खाबड़ रास्ते तो कहीं पहाड़ी चढ़ते-उतरते परीक्षार्थी पसीना बहाते हुए विद्यालय पहुंच रहे हैं। पिछले तीन दिन तक हुई बेमौसमी बारिश ने भी परीक्षार्थियों की परेशानी बढ़ा दी। परीक्षा के दौरान परेशानी अधिक बढ़ जाती है। परीक्षा केंद्र जाने के लिए सुबह जल्दी तैयार होना पड़ता है। विद्यालय पहुंचने में देरी की चिंता लगी रहती है। – पूजा, छात्रा, कीमू
परीक्षा देने दूर जाने से परेशानी होती है। मौसम खराब होने पर परेशानी और बढ़ जाती है। दुर्गम पहाड़ियों के रास्ते संभलकर चलने में देरी लगती है। – मनोज, छात्र, कीमू
उजाला होने से पहले उठकर तैयार होना पड़ता है। रास्ते में हिंसक जानवरों का खतरा रहता है। विद्यालय पहुंचने में तीन घंटे से अधिक समय लग जाता है। – धीरज सिंह, छात्र, भगदानू्
बोर्ड परीक्षा से पहले जूझना पड़ रहा कई चुनौतियों से
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