उत्तराखंड की राजनीति में जब-जब विधानसभा चुनाव की बात आती है तो आधी आबादी उपेक्षित दिखाई देती है। दूसरी ओर पंचायत स्तर पर देखें तो इसमें पूरी तरह महिलाओं का दबदबा है। कुमाऊं मंडल के छह जिलों में ही ब्लॉक प्रमुख के 41 में से 31 पदों पर यानि 75 फीसदी से अधिक पर महिलाएं काबिज हैं। जबकि उत्तराखंड विधानसभा में इनकी उपस्थिति मात्र सात फीसदी तक सीमित है।
विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीति में महिलाओं की भागीदारी पूरी तरह सामाजिक मुद्दा है। आज हर क्षेत्र में महिलाएं दमदार तरीके से अपनी उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। विधानसभा की राजनीति में भी मौका दिया जाए तो यहां भी काफी बेहतर कर सकती हैं। कुमाऊं मंडल के सभी जिलों में गांवों की सरकारों में महिलाएं ही विकास कार्यों का जिम्मा संभाल रही हैं।
यहां उनकी उपस्थिति इतनी दमदार है कि 50 फीसदी आरक्षित पदों से भी अधिक पर वह काबिज हैं। ब्लॉक प्रमुख पद इसका सबसे सटीक उदाहरण है। मंडल के चंपावत जिले में तो सभी चार पदों पर ब्लॉक प्रमुख महिलाएं ही हैं। इसी तरह पिथौरागढ़ में ब्लॉक प्रमुख के आठ में से सात पदों पर महिलाओं का कब्जा है। अन्य जिलों में भी महिलाएं, पुरुषों से काफी आगे हैं।
राज्य में 70 में से सिर्फ 5 महिला विधायक
उत्तराखंड राज्य में विधानसभा चुनाव की बात करें यहां की 70 सीटों में से 2012 और 2017 में अधिकतम 5-5 महिलाएं ही विधायक बन सकी हैं। 2002 और 2007 में हुए चुनावों में चार-चार महिलाएं ही जीत हासिल कर विधानसभा पहुंची थीं। चुनाव में भागीदारी की बात करें तो भी महिलाएं काफी पीछे रही हैं। राज्य के पहले चुनाव में कुल 927 प्रत्याशियों में से महिलाओं की संख्या मात्र 72 थी। जबकि 2017 में हुए आखिरी चुनाव में 637 में से सिर्फ 62 प्रत्याशी महिलाएं रहीं।
50% आरक्षण ने दिया आगे बढ़ने का मौका
लंबे संघर्ष और काफी प्रयासों के बाद ग्राम पंचायतों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण हासिल हुआ है। उत्तराखंड समेत देश के ज्यादातर राज्यों में यह व्यवस्था लागू है। ऐसे में ग्राम स्तर पर होने पर चुनावों में महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका मिला है। जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए ऐसी व्यवस्था नहीं बन पाई है। यहां महिलाओं की बढ़-चढ़कर भागीदारी मात्र चुनावी वादों तक ही सीमित रहती है।
जिलों में ब्लॉक प्रमुख
जिला कुल पद महिला प्रतिनिधि
पिथौरागढ़ 08 07
चंपावत 04 04
अल्मोड़ा 11 07
बागेश्वर 03 02
नैनीताल 08 06
यूएसनगर 07 05
कुल 41 31
आज महिलाओं के प्रति जागरूकता आई है। शिक्षा, खेल सहित हर क्षेत्र में वे बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। राजनीति में भी अवसर मिलने पर उपयोगिता साबित की है। राज्य व केंद्र स्तर की राजनीति में आगे बढ़ाने को सामाजिक स्वीकृति जरूरी है। परिवार के स्तर पर लिए जाने निर्णयों में भी महिलाओं को शामिल कर उन्हें आगे बढ़ाया जाना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को भी पहल करनी चाहिए। राजनीति में भी आगे बढ़ाने पर अच्छे परिणाम मिलेंगे।
डॉ. सूर्यभान सिंह असिस्टेंट प्रो. राजनीति विज्ञान यूओयू