चंपावत। उत्तराखंड में रोडवेज के 19 डिपो के अंतर्गत आने वाला चंपावत अकेला बस स्टेशन है, जहां के मुख्य दरवाजे बंद रहते हैं। इन दोनों मुख्य दरवाजों पर पीआरडी के जवान पहरा देते हैं। ये गेट तभी खुलते हैं, जब बस या तो स्टेशन से बाहर जाती है या भीतर आती है। दोनों दरवाजों के बंद होने से आम लोगों को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है। इसे लेकर पिछले दिनों यहां के नागरिकों ने आवाज भी उठाई। चंपावत बस स्टेशन से सिर्फ एक सीधी बस सेवा (चंपावत से नैनीताल) संचालित होती है। इसके अलावा यहां मैदान और पहाड़ की ओर से आने वाली बसें 15 से 30 मिनट तक रुकती हैं। लेकिन स्टेशन का द्वार सिर्फ बस जाने और आने के वक्त खुलने से लोगों को एतराज है। यह मामला पिछले सप्ताह व्यापारियों ने उठाया भी। गेट खोलने को लेकर बुधवार को रोडवेज के एक सेवानिवृत्त कर्मी और ड्यूटी दे रहे पीआरडी कर्मी के बीच कुछ देर गरमागरमी भी हुई। वहीं रोडवेज के एजीएम नरेंद्र कुमार गौतम का कहना है कि सुरक्षा कारणों से गेट बंद रखा जाता है। बाइक और टैक्सी तेजी से यहां से गुजरते हैं, इससे हादसे का अंदेशा रहता है। इस कारण इसे नहीं खोला गया है।
बस स्टेशन है या प्राइवेट पार्किंग स्थल
चंपावत। रोडवेज बस स्टेशन में कभी भी चार से अधिक बसें एक साथ नहीं खड़ीं होतीं। लेकिन प्राइवेट कारों की बहुतायत रहती है। इन कारों से किसी तरह का पार्किंग शुल्क भी निगम नहीं लेता है। घंटों यहां खड़ी कार कैसे पहुंचती है, इसे लेकर निगम प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं है। उनका कहना है कि प्राइवेट कारें कौन खड़ी करता है, पता नहीं चलता है। जब गेट खुला रहता है, तब ये कारें स्टेशन में आ जाती है।
पूछताछ कक्ष में कर्मी नहीं
चंपावत। बस स्टेशन में यात्रियों की सुविधा की अनदेखी का आलम यह कि बसों की जानकारी के लिए पूछताछ कक्ष में भी कोई कर्मी नहीं है। स्टेशन पर आने वाली बस के चालक खुद ही यहां बस का विवरण भर रहे हैं। एजीएम का कहना है कि यहां तैनात कर्मी के एकाएक अवकाश पर जाने से ये नौबत आई है। बृहस्पतिवार से यहां कर्मचारी तैनात किया जाएगा। निगम ने किसी भी प्राइवेट कार को बस स्टेशन पर पार्किंग की अनुमति नहीं है। इसे रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। रोडवेज के स्तर पर बस स्टेशन में निर्धारित शुल्क के साथ पार्किंग कराने के लिए निगम मुख्यालय प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं चंपावत स्टेशन सहित रोडवेज की व्यवस्था सुधारने के प्रयास किए जाएंगे। – पवन मेहरा, जीएम, रोडवेज, टनकपुर।
बस स्टेशन के द्वार पर पहरा, बस आने- जाने पर ही खुलता है ताला
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