उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में अगले सत्र से एमएड वपाठ्यक्रम संचालित होगा। इसके साथ ही कई अन्य पाठ्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे। यह निर्णय गुरुवार को विश्वविद्यालय की अध्ययन शाखा की आनलाइन बैठक में लिया गया।
विभाग के समन्वयक डा. सिद्धार्थ पोखरियाल ने बताया कि विशेष शिक्षा में एमएड पाठ्यक्रम का प्रारंभ आगामी सत्र से किया जाएगा। इसके लिए प्रस्ताव शीघ्र भारतीय पुनर्वास परिषद को भेजा जाएगा। कामनवेल्थ आफ लर्निंग के सहयोग से सेवारत शिक्षकों के लिए समावेशी शिक्षा में प्रमाणपत्र पाठयक्रम का प्रारंभ किया जाएगा। राच्य सरकार के महिला बाल विकास एवं स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से राच्य के आंगनबाड़ी व आशा कार्यकर्ताओं के लिए डिप्लोमा प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू होगा।
भारतीय सांकेतिक भाषा एवं प्रशिक्षण संस्थान के सहयोग से मुक्त विश्वविद्यालय जल्द ही सांकेतिक भाषा में एक सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी बनाएगा। डा. पोखरियाल ने बताया कि अध्ययन परिषद की ओर से निर्णय लिया गया कि समाज को जागरूक करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों व शैक्षिक संस्थानों में कार्यरत और सामान्यजनों, दिव्यांगजनों के लिए प्रमाण पत्र पर आधारित पाठ्यक्रम चलाए जाएंगे। सबसे पहले लेप्रोसी (कुष्ठ) से ग्रसित रोगी, आटिच्म, सेरेब्रल पाल्सी दिव्यांगताओं से संबंधित प्रमाण पत्र आधारित कोर्स शुरू किए जाएंगे।
प्रवेश लेने वालों को ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज के माध्यम से अध्ययन सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी। अध्ययन परिषद की अध्यक्षता शिक्षा शास्त्र विभाग के निदेशक डा. अखिलेश कुमार नवीन ने की। इसमें इग्नू से प्रो. हेमलता, भारतीय सांकेतिक भाषा संस्थान, नई दिल्ली की उप निदेशक संजय कुमार, राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान, देहरादून के निदेशक डा. हिमांग्शु दास, डा. शकुंतला मिश्रा, पुनर्वास विश्वविद्यालय, लखनऊ की प्रो. रजनी रंजन सिंह, सिमका नई दिल्ली से डा. पाणिग्रहणी ने आनलाइन हिस्सा लिया।