अल्मोड़ा। पर्यटन की दृष्टि से अल्मोड़ा शहर ही पूरा जिला खूबसूरत है। यहां आने के लिए पर्यटकों का दिल ललचाता है लेकिन जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग की अनदेखी से पर्यटक इस जिले में आने से कतरा रहे हैं। बदहाल सड़कों और पार्किंग की कमी पर्यटकों को सालती है। पर्यटक सीजन शुरू हो गया है। गर्मियों में देश के विभिन्न इलाकों के साथ ही हिस्सों के साथ विदेशों से दो लाख से अधिक पर्यटक यहां की प्राकृतिक सुंदरता के बीच सुकून के पल बिताने पहुंचते हैं। यहां के अधिकांश पर्यटक स्थलों में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार के दावों के बीच पार्किंग नहीं हैं। जागेश्वर, चितई, बिनसर सहित प्रमुख पर्यटक स्थलों में पार्किंग न होने से वाहनों को सड़क किनारे पार्क करना पर्यटकों की मजबूरी बन जाता है। जिससे सड़कों पर जाम लग जाता है। ऐसे में पर्यटकों के साथ ही यात्रियों और वाहन चालकों को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है।
कसारदेवी, चितई में साल बाद भी नहीं बन सकी पार्किंग
अल्मोड़ा। जिला मुख्यालय से महज 10 किमी दूर कसारदेवी प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। यहां से हिमालय का मनमोहक नजारा साफ नजर आता है। हर साल करीब तीन लाख से अधिक पर्यटक यहां पहुंचते हैं लेकिन यहां पार्किंग अब तक नहीं बन सकी है। चितई मंदिर में भी पार्किंग का निर्माण सालों बाद भी नहीं हो सका है।
बिनसर में पर्यटकों भी भरमार, पार्किंग का अभाव
अल्मोड़ा। घने जंगलों के बीच स्थित बिनसर पर्यटकों की पहली पसंद है। यहां गर्मियों में पर्यटकों की आवाजाही अधिक रहती है। यहां स्थित अभयारण्य में देश-विदेशों के पर्यटक पहुंचते हैं। पार्किंग नहीं होने से उन्हें दिक्कत होती है।
शीतलाखेत में सड़क पर वाहन खड़े करना मजबूरी
अल्मोड़ा। जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर शीतलाखेत क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करती है। पर्यटक यहां स्थित शीतलादेवी मंदिर में मनौती मांगने पहुंचते हैं लेकिन यहां भी पर्यटकों की सुविधा के लिए अब तक पार्किंग नहीं बन सकी है।
कटारमल मंदिर में नहीं है पार्किंग
अल्मोड़ा। कोसी कटारमल स्थित सूर्य मंदिर धार्मिक पर्यटक का केंद्र है। लेकिन यहां पार्किंग के निर्माण की कवायद शुरू नहीं हो सकी है। ऐसे में पर्यटकों के लिए सड़कों पर वाहन खड़ा करना मजबूरी बन गया है, जिससे उन्हें जाम के झाम से भी जूझना पड़ रहा है।
सड़क पर वाहन खड़े कर पहुंचते हैं डोल आश्रम
अल्मोड़ा। पर्यटक सीजन में लमगड़ा विकासखंड में स्थित डोल आश्रम में पर्यटकों की आवाजाही अधिक रहती है। लेकिन यहां सुकून के पल बिताने पहुंचे पर्यटकों को पार्किंग न होने से दिक्कत झेलनी पड़ रही है।
खूबसूरती है पर क्या करें पार्किंग ही नहीं
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