रानीखेत (अल्मोड़ा)। मार्च में हुई अच्छी बारिश से फिलहाल ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की दिक्कत नहीं है। मार्च में हुई बारिश से स्रोतों का जलस्तर ठीक है। जिस वजह से लोगों को राहत मिली है। आने वाले दिनों पेयजल संकट गहरा सकता है लेकिन जलसंस्थान के पास पर्याप्त टैंकर नहीं होने से विभाग पेयजल किल्लत से कैसे निपटेगा, यह चुनौती है। जल संस्थान पेयजल संकट से निपटने की रणनीति बना रहा है। विभाग के सामने सबसे बड़ी दिक्कत टैंकर की आ रही है। बताया जा रहा है कि 15 साल पुराने टैंकर हटा दिए जाने से अब संस्थान के पास एकमात्र टैंकर बचा है। ताड़ीखेत विकासखंड में ही 40 से अधिक ग्रामसभाओं में पेयजल वितरण की जिम्मेदारी जलसंस्थान के ऊपर है। चिलियानौला में नलकूप स्थापित करने का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है। ताड़ीखेत विकासखंड में गगास-ताड़ीखेत पेयजल योजना और चिलियानौला तिपौला ग्रामीण समूह पेयजल पंपिंग योजना से आपूर्ति की जाती है। गगास योजना से 80 फीसदी पानी सेना को दिया जाता है जबकि 20 प्रतिशत पानी से 30 से अधिक ग्रामसभाओं में पानी का वितरण किया जाता है। जिस कारण आए दिन पानी की समस्या रहती है।
तिपौला चिलियानौला योजना से भी कई गांव जुड़े हैं, लेकिन कुएं की पानी भरने की क्षमता कम होने के कारण आपूर्ति पर्याप्त नहीं हो पाती है। रानीखेत के गांवों में हर बार गर्मी में पानी का संकट होता है। मार्च में हुई बारिश से फिलहाल राहत है। संकट गहराया तो इस बार जल संस्थान के पास टैंकर नहीं है। चार में से तीन टैंकर 15 साल की आयु पूरी कर चुके हैं, उन्हें हटा दिया गया है। अब मात्र एक टैंकर बचा है। दूसरी तरफ हरड़ा मंदिर के पास ट्यूबवैल का विरोध हो गया था। संकट से निपटने के लिए फिलहाल गगास और तिपौला योजना के पानी को गनियाद्योली में एकत्रित करने पर भी विचार किया जा रहा है। टैंकर की समस्या है। तीन से चार टैंकर तो किसी भी कीमत पर चाहिए। चिलियानौला में ट्यूबवेल स्थापित करने के लिए जमीन हस्तांतरण की कार्रवाई चल रही है। इसके लिए 1.35 करोड़ रुपये स्वीकृत हो गए हैं। जलनिगम तिपौला में जल, जीवन मिशन के तहत एक और कुआं बना रहा है। हालांकि बारिश के कारण फिलहाल पानी की किल्लत नहीं है, लेकिन आसन्न संकट को लेकर संस्थान हर संभव प्रयास कर रहा है। – सुरेश ठाकुर, ईई, जल संस्थान, चिलियानौला, रानीखेत।
बिना टैंकर जलसंकट से कैसे निपटेंगे?
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