Wednesday, November 6, 2024
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सल्ट में 10 दुग्ध समितियां बंद, गांवों में दूध डंप होने से किसान बेहाल

मौलेखाल (अल्मोड़ा)। पशुपालन को किसानों की आय का बेहतर जरिया बता इससे उनकी आया दोगुनी करने के दावे हो रहे हैं लेकिन जिले में किसानों को दूध का उचित बाजार नहीं मिल पा रहा है। हालात यह हैं कि सल्ट विकासखंड में 10 दुग्ध समितियों पर ताले लटक गए हैं। प्रोत्साहन राशि और सामग्री का खर्च न मिलने से सचिवों ने दूध एकत्र करना बंद कर दिया है जिसकी सीधी मार उत्पादकों पर पड़ रही है। जीतोड़ मेहनत करने के बाद दूध गांवों में डंप हो गया है जिससे किसान परेशान हैं। सल्ट विकासखंड के थला, नदोली, करगेत, थलमाड़, देवालय, बैला, पोखरी, शकरखोला, मवलगांव, जसपुर कोट में दुग्ध समितियां खोली गईं थीं जिनके माध्यम से क्षेत्र के 300 से अधिक किसान दूध बेचकर अपनी आजीविका चला रहे थे। यहां से पांच वर्ष पूर्व तक 500 लीटर से अधिक दूध दुग्ध संघ अल्मोड़ा पहुंचता था लेकिन समय पर प्रोत्साहन राशि का भुगतान न होने और दुग्ध संग्रह में जरूरी लीटर, केन सहित अन्य सामग्री न मिलने से सचिवों ने समितियां बंद कर दीं। माहभर में सल्ट की सभी समितियों में ताले लटक गए हैं। ऐसे में किसान दूध नहीं बेच पा रहे हैं और यह गांवों में ही डंप हो गया है जिससे उन्हें खासा नुकसान झेलना पड़ रहा है।
दुग्ध संघ ने कहा, फायदा कम और नुकसान अधिक हो रहा
मौलेखाल। जिले में खुले बाजार में दूध की कीमत 50 से 60 रुपये लीटर है। इसके बाद भी किसान दुग्ध संघ पर भरोसा जता उसे दूध बेच रहे हैं जिसकी कीमत उन्हें 28 से 30 रुपये प्रति लीटर मिलती है। इसके बाद भी दुग्ध संघ की अनदेखी के कारण समितियां बंद हो गई हैं। दुग्ध संघ ने इसका कारण नुकसान होना बताया है। संघ का कहना है कि सल्ट क्षेत्र से दूध की उपलब्धता बेहद कम है। दूरी अधिक होने के कारण 60 लीटर दूध जिला मुख्यालय तक लाने में वाहन खर्च साठ हजार रुपये आ रहा है। वहां तैनात एक पर्यवेक्षक को पचास हजार रुपये का भुगतान हो रहा है। ऐसे में सल्ट क्षेत्र से दूध संग्रह करना घाटे का सौदा साबित हो रहा है।
बोलीं महिला किसान
हम जीतोड़ मेहनत कर दुग्ध उत्पादन करते हैं लेकिन हमें इसका उचित बाजार नहीं मिल रहा है। समितियां भी बंद हो गई हैं। ऐसे में हमें नुकसान हो रहा है। -लक्ष्मी रावत, सल्ट।
हमारी आजीविका दुग्ध उत्पादन से चलती है लेकिन हम दूध को कहां बेचें। समितियां बंद हैं और इसे बाजार तक पहुंचाने में समय और धन अधिक खर्च हो रहा है। – हेमा देवी, सल्ट।
किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी दावे हो रहे हैं लेकिन दूध का उचित बाजार नहीं मिल रहा है। ऐसे में हमारी आय बढ़ाने का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। – आशा देवी, सल्ट।
समिति बंद होने से हम दूध नहीं बेच पा रहे हैं। हमारी समस्या नहीं सुलझ रही है। हमें दो साल से प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिली है। ऐसे में हमारी आय कैसे बढ़ेगी। – विमला देवी, सल्ट।
कोट-
सल्ट में सचिवों ने दूध संग्रह बंद किया है। उनके और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ दो बार बैठक कर समितियों को फिर से संचालित करने का प्रयास किया गया। अब तीसरी बार बैठक कर दूध खरीदा जाएगा। – राजेश मेहता, महाप्रबंधक, दुग्ध संघ, अल्मोड़ा।

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