रुद्रपुर। तराई में लगातार हो रही बारिश के चलते मटर की 15 प्रतिशत फसल में फंगस लगने से खराब हो गई है। जिले में 4000 हेक्टेयर में हो रही सरसों के फूलों में माहू (कीट) लगने का खतरा मंडराने लगा है। कृषि अधिकारियों की मानें तो अगर 24 घंटे तक बारिश होती रही तो सरसों में माऊं लग जाएगी। हालांकि इससे कृषि की अर्थव्यवस्था में कोई बदलाव देखने को नहीं मिलेगा।
उद्यान विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 35 हजार किसान 3600 हेक्टेयर में मटर की खेती करते हैं। इसका 30 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है, जबकि ढाई हजार किसान 2800 हेक्टेयर में आलू की खेती करते हैं। इससे 62 हजार मीट्रिक टन उत्पादन होता है। कृषि विभाग के रिपोर्ट के मुताबिक जिले में 4000 हेक्टेयर में सरसों की फसल का उत्पादन होता है।
मुख्य कृषि अधिकारी एके वर्मा ने कहा कि 24 घंटे बारिश हुई तो सरसों के फूलों में माहू (कीट) लग जाएंगे। इससे उत्पादन प्रभावित होगा। इसके बचाव के लिए किसान कीटनाशक का इस्तेमाल कर सकते हैं। इधर, जिला उद्यान निरीक्षक रविंद्रजीत सिंह ने कहा कि आलू व मटर की फसल को नुकसान हो सकता है। अब तक 15 प्रतिशत नुकसान देखने को मिला है।
तराई में गहरा सकता है मटर के बीजों का संकट
रुद्रपुर। किसानों की मानें तो मटर की फलियों में फंगस लगने से दानों की ग्रोथ नहीं हो पा रही है। इससे तराई में भविष्य को लेकर मटर के बीजों पर संकट मंडरा सकता है।
कोट-लगातार बारिश होने से मटर की गुणवत्ता भी खराब हो जाती है। इसके साथ ही फलियों में दाना बड़ा नहीं आ पाता है। बारिश से फंगस लगने पर मटर के बीजों की खेती करने वाले किसानों को दिक्कतें झेलनी पड़ेंगी। -भूपेंद्र सिंह बाजवा, किसान।
-बारिश के चलते मटर की फसल को काफी नुकसान हुआ है। तराई में पांच प्रतिशत किसान ऐसे हैं जो मटर के बीजों के लिए फसल का उत्पादन करते हैं। फंगस लगने से मटर की फसल खराब हुई है। इससे मटर के बीजों पर भी प्रभाव पड़ेगा। -यशवीर सिंह, कृषि वैज्ञानिक।
बारिश से फंगस लगने से मटर की 15 प्रतिशत फसल खराब
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