राजधानी की सड़कों पर भले ही डबल डेकर बसों में सफर का अभी इंतजार है। दिल्ली सरकार इसकी राह में आने वाली अड़चनों को दूर करने का इंतजाम भी कर रही है, लेकिन वेलेंटाइन वीक में डबल डेकर की शक्ल का रेस्तरां युवाओं के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
संगीतमय धुन के बीच लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए बस की पहली मंजिल युवाओं की पसंदीदा जगह है। 42 सीटों वाली बस कम रेस्तरां में बमुश्किल 15 मिनट में आर्डर पूरा हो जाता है।
दिल्ली सरकार अगले साल तक करीब 1500 इलेक्ट्रिक बसें चलाने की योजना पर काम कर रही है। इनमें डबल डेकर बसें भी शामिल करने की योजना है। इसके लिए परिवहन विभाग की ओर से सभी पहलुओं का अध्ययन किया जा रहा है। डबल डेकर बसों के परिचालन की राह में अंडरपास, फ्लाईओवर और फुटओवर ब्रिज सहित कई तरह की बाधा हैं।दिलचस्प यह है कि 1980 के दशक में दिल्ली की सड़कों पर डबल डेकर बसें चलाई जा रही थी। इसे चलाने का जिम्मा दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) के पास था। फ्लाईओवर व अंडरपास का जाल बिछने के क्रम में बस चलाने में दिक्कत आई और उसे बंद कर दिया गया था। अब सरकार फिर से इसे चलाने की योजना पर काम कर रही है।
अधिकारियों का कहना है कि एक डबल डेकर की ऊंचाई करीब 4.5 मीटर तक होती है। रूट तय करने से पहले यह देखना होगा कि सड़क पर फुटओवर ब्रिज, फ्लाईओवर, अंडरपास या बिजली की तारें सड़क को न पार कर रही हों। ऐसा होने की सूरत में वैकल्पिक रूट अपनाना होगा। परिवहन विभाग इन सभी बिंदुओं पर अध्ययन कर रहा है।बेहतरीन माहौल भी फूड बस के अंदर : फूड बस ऑफ इंडिया के मालिक सुखराज सिंह ने लंदन से पढ़ाई करने के बाद भारत में भी यह पहल करने का फैसला लिया। लंदन की तर्ज पर पिछले साल सितंबर में उन्होंने राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन के पास इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कोविड के कारण यह प्रभावित हो गई। अब लागू पाबंदियां जैसे-जैसे कम हो रही हैं, लोकप्रियता बढ़ती जा रही है। खासकर, वेलेंटाइन वीक के लिए इस बस को न केवल बेहतरीन रूप में सजाया जा रहा है, बल्कि युवाओं के लिए खानपान के लिए भी अलग मेन्यू है। सुखराज सिंह के मुताबिक, बस में करीब 42 लोगों के लिए बैठने की सुविधा है। ऑर्डर करने के 15 मिनट के अंदर देश-विदेश के लजीज व्यंजनों का स्वाद चखने का लोगों को मौका दिया जा रहा है। बस के अंदर ही खाने के साथ संगीतमय माहौल से बाहर की गतिविधियों पर भी नजरें आसानी से पहुंचती हैं। नजदीक से गुजरती मेट्रो, ट्रैफिक के बीच में ऐसे माहौल के साथ लजीज खाने को लोग खूब पसंद कर रहे हैं।
ऊपरी मंजिल पर सफर में खड़े होने की नहीं थी इजाजत
डीटीसी के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि डबल डेकर बस पहले भी रिंग रोड, करोल बाग, ओखला सहित कुछ रूटों पर चलती थी। डबल डेकर बसों में दो कंडक्टर होते थे। करीब 35 साल पहले भी यात्रियों को डबल डेकर की ऊपरी मंजिल पर सफर में खड़े रहने की सुविधा नहीं थी। निगम के जानकारों का कहना है कि बसों के परिचालन के दौरान संतुलन न बिगड़े इसलिए खड़े होकर सफर करने पर पाबंदी थी।बस अड्डे से चली जाती थी वापस : कश्मीरी गेट बस अड्डा के पास पहले अंडरब्रिज होने की वजह से डबल डेकर वहां से रिंग रोड पर दोबारा लौटती थी। ऊंचाई अधिक होने की वजह से उस रास्ते पर बस का चलना मुश्किल था, इसलिए यात्रियों सहित बस अड्डा तक पहुंचने के बाद दोबारा बस उसी मार्ग पर लौट जाती थी।
वेलेंटाइन वीक में लजीज व्यंजनों की खुशबू से महक रही डबल डेकर बस
RELATED ARTICLES