प्रदेश में विधानसभा चुनाव प्रचार शनिवार शाम छह बजे थम गया। शेष बचे अगले कुछ बचे घंटों के लिए चुनाव अब पूरी तरह प्रत्याशियों के हवाले हो गया है। इस मौके पर प्रदेश के बड़े नेताओं के नामांकन के बाद से प्रचार समाप्ति तक की सक्रियता का आकलन किया जाए तो ज्यादातर दिग्गज चेहरे अपनी सीटों पर ही संघर्ष करते नजर आए। जबकि इन घोषित स्टार प्रचारकों पर अपने दलों के दूसरे प्रत्याशियों को भी जिताने की जिम्मेदारी थी। इस कारण अन्य प्रत्याशियों को चुनावी मोर्चे पर कमोबेश अकेले ही जूझना पड़ा।
पुष्कर सिंह धामी : खटीमा
सीएम पुष्कर सिंह धामी खटीमा में 27 जनवरी को नामांकन कराने के बाद प्रदेश में प्रचार के लिए निकल गए थे। इसके बाद वो तीन और चार फरवरी को खटीमा में रहे। फिर चुनावी दौरों में व्यस्त रहने के कारण आठ फरवरी को ही वर्चुवल मीटिंग के लिए लौट पाए। इसके बाद धामी फिर नौ फरवरी को खटीमा से गए तो फिर 10 फरवरी की शाम को ही लौट पाए। इस दौरान उन्होंने मुस्तजर, पचोरिया में जनसम्पर्क किया।
हरीश रावत: लालकुआं
कांग्रेस की चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुंआ सीट से बाहर निकलने का ज्यादा वक्त नहीं निकाल पाए हैं। 28 जनवरी से 12 फरवरी के बीच रावत बामुश्किल चार दिन ही बाहर निकले। दो फरवरी को पार्टी के घोषणा पत्र को जारी करने के लिए रावत देहरादून आए थे। पांच फरवरी को पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के कार्यक्रमों के लिए यूएसनगर और हरिद्वार आए। अधिकांश वक्त रावत का लालकुआं में गुजर रहा है।
धामी, हरीश रावत सहित कई दिग्गज नेता अपने किलों में सिमटे रह गए
RELATED ARTICLES