हल्द्वानी: बूढ़े माता-पिता का सहारा बनने के लिए बेटी शहर आ गई। हाथ बंटाने के लिए उसने भाई को भी बुला लिया, लेकिन भाई ने आत्महत्या कर ली। भाई का पोस्टमार्टम हुआ। अब उसे हल्द्वानी के पोस्टमार्टम हाउस से बेरीनाग ले जाना था। गरीब बहन से एंबुलेंस वाले 12 हजार रुपये मांग रहे थे और बहन के हाथ में बस चंद नोट थे। वह एंबुलेंस वालों के आगे मिन्नतें करती रही, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। अंत में उसे अपने भाई के शव को टैक्सी की छत पर बांध कर ले जाना पड़ा।
तमोली ग्वीर बेरीनाग पिथौरागढ़ निवासी गोविंद प्रसाद की उम्र हो चुकी है। फिर भी वह अपनी वृद्ध पत्नी के साथ गांव में खेती-बाड़ी कर एक बेटे और दो बेटियों का पेट पाल रहे थे। जिंदगी कट तो रही थी, लेकिन गुरबत में। शिवानी ने परिवार की हालत और वृद्ध हो चले पिता का सहारा बनने का फैसला लिया। करीब सात माह पहले वह हल्दूचौड़ आ गई। यहां एक कंपनी में काम करने लगी और किराए के मकान में रहने लगी। उसे लगा कि अगर उसका 20 वर्षीय भाई अभिषेक कुमार भी उसके साथ कंपनी में काम करने लगा तो परिवार की आर्थिकी सुधर जाएगी। दो माह पहले अभिषेक हल्दूचौड़ पहुंचा और शिवानी ने उसे अपनी ही कंपनी में नौकरी दिला दी। दोनों भाई-बहन किराए के कमरे में रहने लगे।
शिवानी ने बताया, शुक्रवार सुबह दोनों साथ कंपनी गए। एक घंटे बाद अभिषेक सिर दर्द की बात कहकर कंपनी से छुट्टी लेकर घर चला गया। भाई की तबीयत पूछने के लिए शिवानी ने कई कॉल किए, लेकिन अभिषेक ने फोन नहीं उठाया। दोपहर में खाना खाने के लिए शिवानी घर गई तो अभिषेक गायब था और कमरे से दवाई की बदबू आ रही थी। शिवानी ने अभिषेक की तलाश की तो उसे घर के नजदीक रेलवे पटरी के पास पड़ा पाया। पुलिस की मदद से अभिषेक को डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
शिवानी ने बताया पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस वाले उससे बेरीनाग जाने के एवज में 10-12 हजार रुपये मांग रहे थे। उसके पास इतने पैसे नहीं थे। उसने कई लोगों के सामने हाथ जोड़ा, लेकिन किसी ने तरस नहीं खाया। इधर, मौत की खबर पर रिश्तेदार भी पोस्टमार्टम हाउस पहुंच चुके थे। जिसके बाद शिवानी ने गांव के एक टैक्सी मालिक से संपर्क किया। टैक्सी मालिक राजी हो और फिर शव को टैक्सी की छत पर बांध कर बेरीनाग ले जाया गया।