जिस शहर में स्मार्ट सिटी के ख्वाब को धरातल पर उतार रहे हैं, उसी शहर के कई ऐसे स्याह पक्ष भी हैं, जिनका समाधान किए बिना स्मार्ट सिटी की परिकल्पना को साकार नहीं किया जा सकता। स्मार्ट सिटी को एक तरफ भी रख दें तो राजधानी का शहर होने के नाते भी ऐसी तस्वीर शोभा नहीं देती। बात हो रही है शहर की सड़कों की दशा की। स्मार्ट सिटी के कार्यों के चलते उधड़ी सड़कों को एक तरफ भी रख दें तो हमारी मशीनरी उन सड़कों की दशा भी नहीं सुधार पा रही, जहां किसी तरह का काम भी गतिमान नहीं है। लालपुल से कारगी चौक के बीच के कारगी रोड के बीच के करीब तीन किलोमीटर भाग को ही देख लीजिए। ऐसा लगता है कि सड़क पर गड्ढों का प्रदर्शन कराया जा रहा है। यह सड़क उत्तराखंड अर्बन सेक्टर डेवलपमेंट एजेंसी (यूयूएसडीए) व लोनिवि निर्माण खंड के बीच फंसी है। जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। कारगी रोड पर वर्ष 2018 के अंत में अतिक्रमण हटाया गया था। इसके साथ ही करीब आठ मीटर चौड़ी सड़क रीक्लेम भाग के साथ 12 मीटर हो गई। इस बात को करीब तीन साल होने जा रहे हैं और सड़क का चौड़ीकरण करना तो दूर लोनिवि के अधिकारियों की भूमिका सिर्फ टल्ले लगाने तक सीमित है। ऐसा नहीं है कि सड़क के चौड़ीकरण की कोई योजना नहीं है। कारगी चौक से लाल पुल तक तीन किलोमीटर लंबी सड़क के चौड़ीकरण का करीब नौ करोड़ रुपये का प्रस्ताव तैयार किया गया है। काम शुरू करने के लिए सड़क से बिजली के खंभे भी हटाए जाने हैं और इसके लिए लोनिवि अधिकारी ऊर्जा निगम को करीब एक करोड़ रुपये का भुगतान भी कर चुके हैं। इससे पहले कि लोनिवि सड़क चौड़ीकरण की दिशा में आगे बढ़ पाता, पिछले साल फरवरी माह में इस पर यूयूएसडीए ने पेच फंसा दिया। यूयूएसडीए ने कहा कि इस सड़क पर एडीबी पोषित योजना में सीवर लाइन बिछाई जानी है। साथ ही वर्षा जल निकासी का इंतजाम भी किया जाना है। लिहाजा, पहले सीवर लाइन बिछाने दी जाए और इसके बाद चौड़ीकरण किया जाए। यह बात भी समझ में आती है। समझ में नहीं आता तो बस यह कि सालभर बाद भी सीवर लाइन बिछाने का काम क्यों नहीं किया गया। लोनिवि अधिकारी यूयूएसडीए से इस बाबत सवाल भी कर चुके हैं, लेकिन जवाब नहीं मिल रहा।
देहरादून शहर में एक साल में न सीवर लाइन बिछी, न सड़क ही बनी
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