Labour Codes: भारत में चार नए लेबर कोड लागू, श्रम क्षेत्र में सबसे बड़ा सुधार
केंद्र सरकार ने देश के श्रम ढांचे में व्यापक बदलाव करते हुए शुक्रवार से चार नए लेबर कोड लागू कर दिए। इन कोड्स के लागू होने के साथ ही 29 पुराने श्रम कानून खत्म हो गए हैं। सरकार का कहना है कि नए लेबर कोड्स से श्रमिकों और उद्योगों दोनों को लाभ मिलेगा तथा देश का श्रम तंत्र अधिक पारदर्शी, सरल और आधुनिक बनेगा।
सरकार ने किए ऐतिहासिक श्रम सुधार
श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि चारों लेबर कोड अधिसूचित हो चुके हैं और अब वे पूरे देश में लागू कानून हैं। उन्होंने कहा कि यह सुधार भारत को भविष्य-उन्मुख श्रम व्यवस्था की दिशा में ले जाएगा, जिससे अर्थव्यवस्था, उद्योग और श्रमिकों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित होगा।
जिन चार संहिताओं को लागू किया गया है, वे इस प्रकार हैं—
-
वेज कोड, 2019 (वेतन संहिता)
-
इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड, 2020 (औद्योगिक संबंध संहिता)
-
सोशल सिक्योरिटी कोड, 2020 (सामाजिक सुरक्षा संहिता)
-
ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड, 2020 (व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य और कार्य स्थिति संहिता)
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
श्रम मंत्रालय का कहना है कि नए श्रम कोड्स श्रमिकों के कल्याण को प्राथमिकता देते हैं। मंत्रालय के बयान के अनुसार, यह कदम कार्यस्थल सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा, वेतन संरचना और औद्योगिक संबंधों को आधुनिक जरूरतों से जोड़ते हुए ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को मजबूती देगा।
पुराने श्रम कानून अब अप्रासंगिक
भारत में अधिकांश श्रम कानून आजादी से पहले या उसके तुरंत बाद (1930–1950 के दशक) बनाए गए थे। उस समय अर्थव्यवस्था, उद्योग संरचना और कार्यप्रणाली आज की तुलना में बिल्कुल अलग थी।
विश्व के कई देशों ने समय के साथ अपने श्रम कानूनों का आधुनिकीकरण किया, लेकिन भारत में लंबे समय तक 29 अलग-अलग केंद्रीय कानूनों के तहत जटिल और कई बार पुराने हो चुके प्रावधान लागू रहे।
नए लेबर कोड्स इन सभी कानूनों को समाहित कर एक एकीकृत, सरल और अधिक सक्षम श्रम तंत्र प्रदान करते हैं। सरकार को उम्मीद है कि इससे श्रमिकों को अधिकार और सुरक्षा, और उद्योगों को लचीलापन और पारदर्शिता मिलेगी।