Saturday, November 22, 2025
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किशोरों की भाषा में बढ़ती अभद्रता से CBSE चिंतित, अभिभावकों से की निगरानी बढ़ाने की अपील

किशोरों के अभद्र व्यवहार पर CBSE सख़्त, अभिभावकों को जारी किया परामर्श पत्र

हरिद्वार।
किशोर छात्रों की बोलचाल में बढ़ती अभद्र भाषा और डिजिटल व्यवहार में आ रहे नकारात्मक बदलाव को लेकर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने गंभीर चिंता जताई है। बोर्ड के क्षेत्रीय समन्वयक एवं डीपीएस हरिद्वार के प्रधानाचार्य डॉ. अनुपम जग्गा ने अभिभावकों को पत्र लिखकर बच्चों की भाषा, ऑनलाइन गतिविधियों और दैनिक जीवन शैली पर कड़ी निगरानी रखने की अपील की है।


किशोरों की भाषा में गिरावट सबसे बड़ी चिंता: CBSE

डॉ. जग्गा के अनुसार, प्रतिष्ठित व समृद्ध परिवारों के किशोरों में भी अभद्र और आपत्तिजनक शब्दों का उपयोग तेजी से बढ़ा है।
उन्होंने बताया कि—

  • किशोरों की बातचीत में गाली-गलौज बढ़ी है

  • सोशल मीडिया पर अनुपयुक्त भाषा व कंटेंट साझा करने के मामले सामने आ रहे हैं

  • साथियों को परेशान करने की प्रवृत्ति भी बढ़ रही है

स्कूल द्वारा किए गए व्यवहार अध्ययन में यह पाया गया कि कई छात्र कैमरे पर भी बिना झिझक अपमानजनक भाषा का उपयोग करते दिखाई दिए।


OTT और वेब सीरीज से बढ़ रहा अनुचित भाषा व्यवहार

बोर्ड अधिकारियों का कहना है कि पिछले एक दशक में किशोरों के बीच गाली-गलौज वाली बातचीत आम होती जा रही है।
इसके प्रमुख कारणों में—

  • OTT प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध वेब सीरीज

  • बिना रोक-टोक स्मार्टफोन व सोशल मीडिया उपयोग

  • अनुकरणीय सामग्री की कमी

शामिल हैं।


अनुशासन और पढ़ने की आदत पर जोर

अपने पत्र में डॉ. जग्गा ने IIT छात्रों के परामर्श सत्र का उदाहरण देते हुए बताया कि सफल छात्र प्रतिदिन 6–8 घंटे का स्वाध्याय करते हैं और पुस्तक, समाचार पत्र व पत्रिकाएं पढ़ने को अधिक महत्व देते हैं।
उन्होंने कहा कि डिजिटल माध्यमों में अत्यधिक समय देने से बच्चे अनुशासन और अध्ययन दोनों में पिछड़ सकते हैं।


अभिभावकों को महत्वपूर्ण सुझाव

डॉ. जग्गा ने पत्र में अभिभावकों के लिए कई प्रमुख सुझाव दिए हैं—

  • बच्चों से चर्चा करें कि वे ऑनलाइन क्या देख रहे हैं या साझा कर रहे हैं।

  • उन्हें विनम्र और सम्मानजनक भाषा प्रयोग के लिए प्रोत्साहित करें।

  • समझाएं कि हर ऑनलाइन टिप्पणी एक स्थायी डिजिटल फुटप्रिंट बनती है।

  • घर में डिवाइस-फ्री जोन बनाएं—विशेषकर भोजन के समय और सोने से पहले।

  • सोशल मीडिया उपयोग की नियमित निगरानी करें।

  • स्क्रीन-टाइम कम कर पढ़ाई, खेल और सामाजिक संपर्क बढ़ाएं।

  • बच्चों में संवेदनशीलता, सम्मान और अच्छे व्यवहार की आदत विकसित करें।

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