खुद को खतरे में डालकर कोरोना पर अंकुश लगाने में जुटे कर्मचारियों से स्वास्थ्य विभाग ने किनारा कर लिया है। इन कर्मचारियों को स्वास्थ्य विभाग ने ठेके पर रखा था। इन कर्मचारियों को बुधवार से काम पर नहीं आने को कहा गया है। कोरोना से निपटने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने 2020 में स्टाफ नर्स, टैक्नीशियन आदि की भर्ती की। जिले में दो एजेंसियों के माध्यम से 28 लोग ठेके पर रखे गए। इन लोगों को कोरोना वार्ड, मरीजों के सैंपल लेने, टीकाकरण समेत कई अन्य कामों में लगाया गया। इन लोगों ने दिन रात कोरोना पर अंकुश लगाने के प्रयास किए साथ ही पीड़ितों की सहायता की। अब जबकि कोरोना की तीसरी लहर खत्म हो रही है तो विभाग ने इन सब से किनारा कर लिया है। जिसके बाद से सभी कर्मचारी तनाव में हैं।
कोई सम्मान नहीं मिला
कर्मचारियों का कहना है कि जब लोग डर कर अपनों के पास नहीं जा रहे थे तब उन्होंने कोरोना पीड़ितों की सेवा की। तब स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें कोरोना वॉरियर प्रमाण पत्र, सम्मान पत्र आदि देने का आश्वासन दिया गया। लेकिन उन्हें किसी प्रकार का कोई सम्मान प्रदान नहीं किया गया।
दो माह की सैलरी नहीं
दिन रात काम कर रहे इन कर्मचारियों को ठीक से वेतन भी दिया गया। मामूली वेतन पाने वाले इन कर्मचारियों को पिछले साल 5 माह तक भुगतान नहीं दिया गया। काफी प्रयास और लगातार मीडिया में मामला सामने आने पर भुगतान किया गया। अब फिर से कर्मचारियों को दिसंबर और जनवरी का वेतन नहीं दिया गया।
दो से तीन बार कोविड
कर्मचारियों का कहना है कि जिले में काम कर रहे उनके सभी साथियों को कोरोना हो चुका है। कुछ ऐसे कर्मचारी भी हैं जिनको दो तीन बार कोरोना हो चुका है। कोरोना होने के दौरान भी उनको स्वास्थ्य संबंधी कोई विशेष सुविधा नहीं मिली।
पीएफ का पता नहीं
कर्मचारियों का कहना है कि उनका पीएफ काटने व ईएसआई लाभ देने के दावे कंपनियों द्वारा किए गए। लेकिन पूर्व में भी एक कंपनी उनके कुछ साथियों का पीएफ लेकर गायब हो गई। इस बार भी उन्हें इसकी आशंका है।
मुख्यालय से जीओ आया है। जिसमें इन कर्मचारियों की सेवा 22 फरवरी तक ही जारी रखने को कहा गया है। इसकी जानकारी कर्मचारियों को दे दी गई है। कर्मचारियों की कोई भी समस्या होगी तो उसे हल किया जाएगा।
डॉ भागीरथी जोशी, सीएमओ, नैनीताल
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