देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने शिक्षा व्यवस्था में भारतीय संस्कृति और नैतिक मूल्यों को सशक्त करने के उद्देश्य से बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घोषणा की है कि राज्य के सभी स्कूलों में अब श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों का पाठ अनिवार्य किया गया है। इसके साथ ही भगवत गीता और रामायण को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में भी शामिल कर लिया गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रविवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के माध्यम से इस निर्णय की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य विद्यार्थियों को भारतीय संस्कृति, नैतिक मूल्यों और जीवन दर्शन से जोड़ना है, ताकि उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास हो सके। मुख्यमंत्री के अनुसार, गीता के उपदेश छात्रों को सही मार्गदर्शन देने के साथ-साथ उन्हें जिम्मेदार और संवेदनशील नागरिक बनाने में सहायक होंगे।
शिक्षा विभाग ने जारी किए निर्देश
मुख्यमंत्री के निर्देशों के तहत शिक्षा विभाग पहले ही शिक्षकों के लिए दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। इन निर्देशों में कहा गया है कि शिक्षक समय-समय पर कक्षा में श्रीमद् भगवत गीता के श्लोकों का पाठ कराएं और उनकी सरल भाषा में व्याख्या करें। इसके साथ ही विद्यार्थियों को यह भी बताया जाए कि गीता के सिद्धांत किस प्रकार जीवन मूल्यों, व्यवहार, नेतृत्व क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति, भावनात्मक संतुलन और वैज्ञानिक सोच को विकसित करते हैं।
शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि छात्रों को यह जानकारी दी जाए कि श्रीमद् भगवत गीता के उपदेश सांख्य दर्शन, मनोविज्ञान, तर्कशास्त्र, व्यवहार विज्ञान और नैतिक दर्शन पर आधारित हैं। ये सिद्धांत किसी एक धर्म तक सीमित न होकर धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण से संपूर्ण मानवता के लिए उपयोगी हैं।
अगले शिक्षा सत्र से लागू होगी नई पाठ्यचर्या
मुख्यमंत्री के निर्देश पर श्रीमद् भगवत गीता और रामायण को राज्य पाठ्यचर्या की रूपरेखा में शामिल कर लिया गया है। माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि विद्यालयी शिक्षा के लिए तैयार की गई राज्य पाठ्यचर्या की सिफारिशों के अनुसार नई पाठ्य पुस्तकों को अगले शिक्षा सत्र से लागू करने का प्रस्ताव है।
डॉ. सती ने कहा कि श्रीमद् भगवत गीता को जीवन के हर क्षेत्र में पथ-प्रदर्शक माना गया है। यह केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन के विज्ञान, मनोविज्ञान और व्यवहार शास्त्र का भी उत्कृष्ट ग्रंथ है। इसमें मनुष्य के व्यवहार, निर्णय क्षमता, कर्तव्यनिष्ठा, तनाव प्रबंधन और विवेकपूर्ण जीवन जीने के वैज्ञानिक तर्क निहित हैं। विद्यालयों में इसके अध्ययन से छात्र-छात्राओं को एक श्रेष्ठ और जिम्मेदार नागरिक बनाने में मदद मिलेगी।
कटारमल सूर्य मंदिर का किया उल्लेख
मुख्यमंत्री धामी ने सोशल मीडिया पर साझा किए गए एक वीडियो संदेश में अल्मोड़ा जिले में स्थित ऐतिहासिक कटारमल सूर्य मंदिर का भी उल्लेख किया। भगवान सूर्यदेव को समर्पित यह मंदिर कत्यूरी काल की उत्कृष्ट वास्तुकला और गहरी आस्था का प्रतीक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मंदिर उत्तराखंड के गौरवशाली इतिहास और समृद्ध सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाता है।
राज्य सरकार के इस फैसले को शिक्षा के साथ-साथ सांस्कृतिक चेतना और नैतिक मूल्यों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखा जा रहा है।