Tuesday, November 26, 2024
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अंतरराष्ट्रीय फलक पर छाई उत्तराखंडी शॉर्ट फिल्म, 111 देशों की 2548 फिल्मों को पछाड़ा

39वें बुसान अंतरराष्ट्रीय शार्ट फिल्म फेस्टिवल (दक्षिण कोरिया) में पहली बार उत्तराखंड की फिल्म ‘पताल ती होली वॉटर का वर्ल्ड प्रीमियर को होगा। 29 अप्रैल प्रीमियर के लिए इस फिल्म को विश्व के 111 देशों की 2548 फिल्मों की प्रवृष्टि में से चुना गया है। बुसान में चुनी गई 40 शार्ट फिल्मों में से यह एकमात्र भारतीय प्रवृष्टि भी है।त्तरांचल प्रेस क्लब में सोमवार को हुई पत्रकारवार्ता में फिल्म के एक्जीक्यूटर प्रोड्यूशर गजेन्द्र रौतेला ने बताया कि फिल्म भोटिया जनजाति की लोककथा पर आधारित है। इसका निर्माण स्टूडियो यूके 13 की टीम ने किया है। फिल्म के पोस्ट प्रोडक्शन में ध्वनि संयोजन ऑस्कर विजेता रेसुल पूकुट्टी (स्लमडॉग मिलियनेयर), एडिटिंग संयुक्ता काजा (तुम्बाड़), पूजा पिल्लै (पाताल लोक) एवं रंग संयोजन ईरान के हामिद रेजाफातोरेचिअन ने किया है। फिल्म की शूटिंग रुद्रप्रयाग और चमोली में की गई है। फिल्म के निर्माता-निर्देशक संतोष रावत और मुकुंद नारायण ने इस फिल्म में हिमालय के एक गांव के जीवन को दर्शाया है। पूरी शूटिंग 20 दिनों में 4500 मीटर की ऊंचाई तक हिमालय में 300 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा कर पूरी की गई है।
रोचक है शॉट फिल्म का विषय
देहरादून। किशोरावस्था की तरफ बढ़ रहा एक लड़का अपने दादा की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए भूत और भौतिक के बीच की दूरी को नापता है। उसे अपने दादा के लिए उस खास जगह जाकर पानी लाना है, जहां उसके दादा का पूरा जीवन बीता है। इस दौरान प्रकृति और जीवन के बीच उसका संघर्ष शुरू होता है, जो मानवीय पक्ष को संवेदनशील और भावपूर्ण बना देता है। फिल्म में प्राकृतिक रोशनी के इफेक्ट, कैमरा वर्क और कलाकारों के नाम मात्र के संवादों में की गयी अदाकारी इसे खास बनाती है। फिल्म में आयुष रावत, धन सिंह राणा, कमला कुंवर, भगत सिंह बरफाल ने प्रमुख भूमिका निभाई है। फिल्मांकन बिट्टू रावत, दिव्यांशु रौतेला ने किया है।
बोली-भाषा और संस्कृति को मिलेगी पहचान
देहरादून। भोटिया बोली में पानी को ‘ती कहा जाता है। पाताल-ती का अर्थ का स्रोत का पानी। फिल्म ने लोक भाषा के साथ-साथ उत्तराखंडी संस्कृति को नया आयाम दिया है। अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में चयन के बाद ऑस्कर के लिए नामित होने की उम्मीद भी बढ़ गई है। फिल्म की खासियत है कि इसमें सिर्फ दो-तीन लोग ही फिल्म निर्माण के क्षेत्र से हैं, बाकी पूरी टीम ग्रामीण परिवेश से थी। फिल्म के कंटेंट और मेकिंग से प्रभावित होकर साउंड और एडिटिंग में बॉलीवुड की जानीमानी हस्तियों ने भी पोस्ट प्रोडक्शन में अपना सहर्ष सहयोग दिया।

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