मंडल मुख्यालय पौड़ी से करीब पंद्रह किलोमीटर दूर गगवाड़स्यूं घाटी में बन रही ल्वाली झील बजट की कमी से अधर में लटक गई है। बीते करीब चार महीने से इस झील पर काम रुका हुआ है। झील निर्माण में हो रही देरी पर्यटन की उम्मीदों को भी पंख नहीं लगा पा रही है। झील निर्माण का शिलान्यास हुए करीब तीन साल का समय अब तक निकल गया है। कार्यदायी संस्था ने अब 12 करोड़ से अधिक की धनराशि की मांग काम को पूरा करने के लिए की है। अभी तक झील का अस्सी फीसदी काम पूरा हुआ है। पौड़ी की ल्वाली झील पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के जहां ड्रीम प्रोजक्टों में शामिल रही, वहीं इस झील से स्थानीय युवा भी रोजगार की राह देख रहे हैं। झील से स्थानीय स्तर पर पेयजल की कमी को दूर करने के लिए एक पेयजल योजना भी बनाई जा रही है।
कमिश्नरी मुख्यालय से सटी गगवाड़स्यूं घाटी में करीब 938 मीटर लंबी ल्वाली झील पर काम सिंचाई महकमा कर रहा है। पौड़ी की भौगोलिक परिस्थितियों की बात की जाए तो यहां से गुजर गर कोई नदी भी नहीं जाती है। ऐसे में यहां के गाड-गदेरे ही पर्यटन के लिहाज से संवारने की जरूरते है। जिले की मध्य हिस्से की बात की जाए तो यहां पूर्वी और पश्चिमी नयार नदियां है और इसके साथ ही कई छोटे-बडे गदेरे भी निकलते हैं। गगवाड़स्यूं घाटी से गुजर रहे इस गदेरे के पास ल्वाली में झील का सर्वे में करवाया गया तो यहां संभावाएं मिली। आईआईटी रुड़की की टीम ने फिजिब्लिटी रिपोर्ट बनाई थी। यहां झील को बनाने के पीछे मकसद खेती को सरसब्ज करने सहित स्थानीय युवाओं को भी रोजगार देने भी है। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 6 करोड़ 92 लाख 77 हजार की लागत से बनने वाली इस झील का शिलान्यास 30 जून 2019 में किया था। हालांकि इसके बाद आए कोराना काल के कारण भी इस बहुप्रतीक्षित झील के निर्माण में देरी हो गई। पौड़ी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं है। यहां की कई घाटियां साहसिक पर्यटन के लिए जानी जाती है। नयार घाटी एडवेंचर फेस्टिवल और इसके साथ ही ल्वाली, सतपुली और स्यूंसी झील भी इसी कड़ी के रूप में देखा जाता है। ल्वाली झील पर्यटन की गतिविधियों को बढ़वा दे सकता है। स्थानीय युवा भी झील से उम्मीदें लगाएं है। झील बनकर तैयार होती है तो यह रोजगार के अवसर भी लेकर आएगी। वहीं आस-पास के बंजर भूमि को सरसब्ज किया जा सकता है। अनुमान के तहत इस झील में 70 लाख लीटर पानी एकत्र हो सकेगा जिससे 1700 नाली यानी 34 हेक्टेअर भूमि को भी सिंचाई के लिए पानी मिल जाएगा। झील को लेकर आईआईटी रुड़की की सर्वे टीम ने समय-समय पर निरीक्षण किया। इस बीच इसके डिजाइन में बदलाव किया गया। पर्यटन और स्वरोजगार की दृष्टि से महत्वकांक्षी ल्वाली झील पर बजट के अभाव में बीते करीब 4 महीने से काम ठप है। काम को कर रही कार्यदायी संस्था सिंचाई विभाग के मुताबिक रिवाइज इस्टीमेंट शासन को भेजा गया है। झील से आस-पास के गांवों को पेयजल भी उपलब्ध कराने को इसी योजना में शामिल किया गया है और झील से 0.15 एमएलडी की पेयजल योजना भी बनाई जा रही है। इस काम को पेयजल निगम कर रहा है। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि मार्च 2020 झील की आईआईटी रुडकी ने फिजिब्लिटी रिपोर्ट बनाई है। डिजाइन में बदलाव के कारण प्रारंभिक आंकलन में भी इजाफा हो गया। करीब साढे़ 12 करोड़ की डिमांड शासन से की गई है।
बजट की कमी से ल्वाली झील का काम रुका
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