कैंट विधानसभा से चुनाव हारे भाजपा के बागी दिनेश रावत ईवीएम पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जो लोग चुनाव में उनके सहयोगी थे उनके बूथ पर उनको एक भी वोट नहीं मिला है। उनके दो भाइयों के परिवार के सदस्यों के भी पूरे वोट उन्हें नहीं मिले। उन्होंने चुनाव आयोग से वीवीपैट पर्चियों से वोटों की मिलान करने की मांग उठाई है।
बागी प्रत्याशी दिनेश रावत ने बताया कि उन्होंने चुनाव में दिन-रात मेहनत की है। कैंट की जनता ने उन्हें आशीर्वाद स्वरूप वोट दिया है। मतदान के दिन हर बूथ पर बस्ता लगाया था। दावा किया है कि उनको दस से 12 हजार वोट पड़े हैं, लेकिन ईवीएम से गणना के बाद 1056 वोट मिले हैं। इससे साफ है कि ईवीएम में कुछ गड़बड़ी थी। कहा कि बूथ संख्या 42 पर उनके दो भाइयों और उनके परिवार के सदस्यों के दस वोट थे, लेकिन इस बूथ पर उनको मात्र चार वोट मिले हैं।
करीब चालीस लोग ऐसे हैं, जो चुनाव में उनके सहयोगी थे और दिन-रात उनके साथ थे, लेकिन उनके बूथ भी उनको एक भी वोट भी नहीं मिला। मतगणना स्थल पर उन्होंने इसका विरोध भी किया और अधिकारियों से वीवीपैट से मिलान करने की मांग की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। कहा कि विपक्ष कई सालों से ईवीएम में गड़बड़ी की आरोप लगा रहा था, उनका आरोप गलत नहीं है। इसकी जांच होनी जरूरी है।
तीन प्रत्याशी 100 का आंकड़ा भी नहीं छू पाए
कैंट विधानसभा से कुल 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। इसमें तीन प्रत्याशी 100 का आकंड़ा भी नहीं छू पाए। निर्दलीय प्रत्याशी गीता चंदोला को 76, सचिन क्षेत्री को 99 और राष्ट्रीय उत्तराखंड पार्टी के विनोद असवाल को 73 वोट मिले हैं। नंद किशोर सेमवाल को 109 वोट मिले। इनसे ज्यादा यहां नोटा को वोट मिले हैं। नोट को कुल 614 वोट मिले हैं।