भवाली। होली के रंगों का अपना खास महत्व है। सभी रंग अपने आप मे होली की सान बढ़ाते है। पिछले कुछ सालों से होली मनाने का स्तर बढ़ गया है। आज हर कोई नए अंदाज में होली मानने की जद्दोजहद में रहता है। ऐसे ही कोरोना के कहर के बीच इस बार होली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं बाजार में पहले की तरह अब चायना की जगह स्वदेशी बाजार का कब्जा दिख रहा है। होली के शौकीन लोगों के लिए नए नए उपकरण बाजार में हैं। गत दो साल तक होली का त्योहार कोरोना के संक्रमण के भय के साथ मनाया गया। इस बार होली को लेकर होल्यारों में गजब उत्साह है। बाजार में तरह तरह के उपकरण मौजूद हैं। बच्चों के लिए म्यूजिकल पिचकारी हैं । आकर्षक मुखौटे भी हैं वहीं म्युजिकल गिलास, दीपावली के अनार की तरह अबीर-गुलाल बरसाने वाले रोल भी बाजार में उपलब्ध हैं। वहीं अग्नि शमन टैंक की तरह के अबीर व गुलाल के दो से पांच किलो तक के टैंक भी दिख रहे हैं। हैंड स्टिक भी बाजार में हैं जिसे फैंकने पर उनसे अबीर व गुलाल निकल रहा है। बाजार में बच्चों के लिए 20 रूपये से लेकर 950 रूपये तक की पिचकारी भी मौजूद हैं।
हर्बल और स्वदेशी उपकरण की मांग
भवाली। इसे मोदी या बाबा रामदेव की अपील मानें या कुछ और कि हर्बल कलर के साथ ही ग्राहक स्वदेशी सामान की बात पूछकर सामान खरीद रहे हैं। होली सामान विक्रेता कमला खम्पा, योगेश जोशी ने बताया कि इस बार हर्बल कलर की काफी मांग है। क्योंकि जनता जागरूक हो गई है तथा उसके द्वारा स्वदेशी व हर्बल कलर की ही मांग की जा रही है। 20 रुपये से 950 रूपए पिचकारी है। जो आकर्षक का केंद्र बने हुवे हैं।
इस बार स्वदेशी पिचकारियों का होली के बाजार पर कब्जा
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