देहरादून नगर निगम के मुख्य कार्यालय भवन ने सौ साल पूरे कर लिए हैं। अंग्रेजों के जमाने में बने इस भवन में मेयर सुनील उनियाल गामा बैठते हैं। खास बात यह है कि सौ साल बाद भी यह इमारत सुरक्षित है।
नगर निगम के इस कार्यालय भवन का निर्माण 1922 में किया गया था। यह नगर निगम परिसर का सबसे पुराना भवन है। इसके निर्माण में पत्थर और ईंटों का इस्तेमाल किया गया है। भवन सौ साल बाद भी मजबूत स्थिति में है। नगर निगम के एक वरिष्ठ कर्मचारी ने बताया कि नगर निगम के तीन पुराने भवन अपने आप में एक उत्कृष्ट कलाकृति का नमूना हैं। इनके निर्माण में काफी बेहतर निर्माण सामग्री का प्रयोग हुआ है। यही कारण है कि भवनों के मरम्मत की जरूरत अब तक बहुत कम पड़ी है। नगर निगम समय-समय पर रंग-रोगन जरूर करवाता रहता है। नगर निगम के पुराने कार्यालय भवन को फसाड लाइटों से सजाने की तैयारी की जा रही है। भवन के सौ साल पूरे करने के उपलक्ष्य में इसे आधुनिक तकनीक से लैस रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाएगा। इसके लिए जल्द टेंडर जारी किए जाएंगे।
तीन ऐतिहासिक भवनों की विरासत संभाली
नगर निगम परिसर का सबसे पुराना भवन 1922 में बना। इसपर ‘दफ्तर म्युनिस पैलिटी देहरादून लिखा हुआ है। इसमें अब मेयर सुनील उनियाल गामा का दफ्तर है। दूसरा भवन वर्ष 1937 में बना। इस पर ‘नगर पालिका देहरादून लिखा है। इसमें नगर आयुक्त अभिषेक रूहेला और अन्य अधिकारियों के ऑफिस हैं। तीसरा भवन 1938 में भगवान दास बैंक लिमिटेड ने अपने संस्थापक लाला स्वर्गीय जुगमंदर दास की याद में बनवाया गया, जिसमें एहितासिक टाउन हॉल है।
नगर निगम के ऐतिहासिक भवन को सौ साल पूरे हो गए हैं। इस उपलक्ष्य में भवन को फसाड लाइटों से सजाने की तैयारी की जा रही है। निगम का यही प्रयास है कि इन ऐतिहासिक भवनों का रख-रखाव बेहतर तरीके से हो। -सुनील उनियाल गामा, मेयर देहरादून
अंग्रेजों के जमाने की बिल्डिंग में देहरादून के मेयर, नगर निगम के मुख्य भवन ने पूरे किए 100 साल
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