उत्तराखंड के पेंशनर्स सरकार की हेल्थ स्कीम से अलग नहीं होना चाहते। हाईकोर्ट से पेंशनर्स को हेल्थ स्कीम से अलग होने की छूट मिलने के बावजूद अभी तक लगभग दो हजार पेंशनर्स ने ही योजना छोड़ने का विकल्प दिया है। राज्य सरकार ने पिछले साल राज्य स्वास्थ्य योजना लांच की थी। इसके तहत सरकारी कर्मचारियों व पेंशनर्स को मामूली प्रीमियम पर कैशलेस इलाज की सुविधा देने का प्रावधान है। इस योजना से जुड़े कुछ पेंशनर्स इलाज में आई दिक्कतों को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई कर पेंशनर्स को उक्त योजना से अलग होने की छूट दे दी थी। हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद योजना का संचालन कर रही स्टेट हेल्थ एजेंसी ने पेंशनर्स से विकल्प भरने को कहा था। इस क्रम में राज्यभर में दस हजार पेंशनर्स ने विकल्प दिए। इसमें से करीब आठ हजार पेंशनर्स ने योजना से जुड़े रहने का विकल्प चुना जबकि दो हजार ने योजना से अलग होने का विकल्प भरा। जिन पेंशनरों ने अभी तक कोई विकल्प नहीं दिया है, उनका क्या किया जाए, इसे लेकर स्टेट हेल्थ एजेंसी असमंजस में है। सूत्रों ने बताया कि कोई विकल्प न चुनने वाले पेंशनर्स को योजना से जोड़े रखना है या नहीं, इस पर निर्णय लेने के लिए एजेंसी एक प्रस्ताव बना रही है जो जल्द सरकार को भेजा जाएगा। हालांकि स्टेट हेल्थ एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधकारी अरुणेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि पेंशनर्स को लेकर बोर्ड बैठक में लिया जाएगा।
हाईकोर्ट से योजना से अलग होने की छूट मिलने के बावजूद नहीं दिखा ज्यादा असर, हेल्थ स्कीम छोड़ने को राजी नहीं पेंशनर
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