देहरादून नगर निगम के शीशमबाड़ा स्थित कूड़ा निस्तारण प्लांट में लगी आग से उठ रहे धुएं ने वहां आसपास की हवा को जहरीला बना दिया है। यहां का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 343 पाया गया है, जो कि बेहद खराब श्रेणी है। यह इस साल का सबसे खराब प्रदूषण का स्तर भी है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) ने शनिवार को ये आंकड़ा जारी किया है। धुआं सांस की बीमारी एवं खांसी-जुकाम वालों के लिए बहुत खतरनाक है। पिछले कई दिन से नगर निगम के शीशमबाड़ा प्लांट में लगी आग से धुआं फैल रहा है। देहरादून के वातावरण में भी इसका प्रभाव दिख रहा है। हवा की गुणवत्ता खराब होने पर पीसीबी ने शीशमबाड़ा और सेलाकुई क्षेत्र में विशेष उपकरणों के जरिए एयर क्वालिटी मानिटरिंग की। तीन दिन तक लगातार निगरानी के बाद वहां एयर क्वालिटी काफी खराब पायी गई है।पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि सारा डाटा एनालिसिस के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 343 पाया गया, जो कि बेहद खराब है। इससे सांस और सर्दी-जुकाम के मरीजों को काफी दिक्कत हो सकती है। संबंधित एजेंसियों को इसके निस्तारण और धुएं को पूरी तरह खत्म करने को कहा गया है। अभी कुछ दिन इसका इंपेक्ट हवा में मौजूद रहने की आशंका है। पिछले कई दिन से नगर निगम के शीशमबाड़ा प्लांट में लगी आग से धुआं फैल रहा है। देहरादून के वातावरण में भी इसका प्रभाव दिख रहा है। हवा की गुणवत्ता खराब होने पर पीसीबी ने शीशमबाड़ा और सेलाकुई क्षेत्र में विशेष उपकरणों के जरिए एयर क्वालिटी मानिटरिंग की। तीन दिन तक लगातार निगरानी के बाद वहां एयर क्वालिटी काफी खराब पायी गई है।पीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी आरके चतुर्वेदी ने बताया कि सारा डाटा एनालिसिस के बाद एयर क्वालिटी इंडेक्स 343 पाया गया, जो कि बेहद खराब है। इससे सांस और सर्दी-जुकाम के मरीजों को काफी दिक्कत हो सकती है। संबंधित एजेंसियों को इसके निस्तारण और धुएं को पूरी तरह खत्म करने को कहा गया है। अभी कुछ दिन इसका इंपेक्ट हवा में मौजूद रहने की आशंका है।
सांस की बीमारी और खांसी-जुकाम वालों के लिए बहुत खतरा
शीशमबाड़ा प्लांट से उठ रहे धुएं से लोगों को परेशानी होने लगी है। यह धुआं सांस की बीमारी एवं खांसी-जुकाम वालों के लिए बहुत खतरनाक है। दून अस्पताल में टीबी एंड चेस्ट रोग विभाग के एचओडी डा. अनुराग अग्रवाल, एचओडी मेडिसन डा. नारायणजीत सिंह का कहना है कि धुआं हवा में घुलकर जहरीला हो जाता है। ये धीरे-धीरे दमे और खांसी के मरीजों की जान का दुश्मन बनने लगता है। खुली हवा में सांस लेना मुश्किल हो जाता है। जहरीला धुआं भी लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। धुआं सांस के मरीजों के लिए बहुत कष्टकारी होता है। लोगों को धुएं से बचने के लिए मास्क पहनना चाहिए। बुजुर्गों एवं सांस के मरीजों को बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर जाने दें।
शीशमबाड़ा प्लांट:कूड़े के धुएं से हवा में घुला ‘जहर’,प्रदूषण स्तर बढ़ा-सांस,खांसी-जुकाम के मरीज परेशान
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