प्रदेश और देश के करोड़ों पर्यटकों और श्रद्धालुओं की चारधाम यात्रा को सुगम बनाने के साथ अब केंद्र सरकार इसे सुरक्षित बनाने की तैयारी में है। इसके लिए वह चारधाम महामार्ग परियोजना के लिए एक सुरक्षा कवच बनाने जा रही है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के परियोजना प्रबंधन परामर्श (पीएमसी) की टीम ने इस सुरक्षा कवच का एक प्रस्ताव तैयार किया है। जल्द ही पीएमसी की टीम के सदस्य उत्तराखंड का दौरा करेंगे और हितधारक विभागों के साथ चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली बनाने के लिए एक-दूसरे के साथ सूचनाओं को साझा करेंगे। इस परियोजना पर करीब 160 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। मंत्रालय के अपर सचिव अमित कुमार घोष ने इस संबंध में प्रमुख सचिव (लोनिवि) आरके सुधांशु को पत्र लिखा है। पत्र में कहा गया है कि मंत्रालय के राजमार्ग डिविजन की पीएमसी की टीम उत्तराखंड आएगी और एक बैठक करेगी। बैठक में राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ वर्तमान और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करेगी।
सुगम तो हुआ महामार्ग मगर हादसों का खतरा बरकरार
चारधाम महामार्ग परियोजना के बनने से बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम की यात्रा सुगम तो हुई, लेकिन दुर्घटनाओं का खतरा बरकरार है। दरअसल, जटिल भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से मार्ग पर भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। खराब मौसम के समय इस खतरे की ज्यादा संभावना रहती है। मार्ग अधिक चौड़ा होने के कारण इस पर वाहनों की गति भी बढ़ गई है। इससे भी दुर्घटना का खतरा बना रहता है।
ऋषिकेश में केंद्रीय नियंत्रण कक्ष बनेगा
महामार्ग के लिए प्रस्तावित चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली का केंद्रीय नियंत्रण कक्ष ऋषिकेश में बनेगा। जिला मुख्यालयों पर प्रोजेक्ट कंट्रोल रूम स्थापित करने की योजना है। इन नियंत्रण कक्षों के माध्यम से राज्य के सभी राष्ट्रीय राजमार्गों की प्रभावी और रियल टाइम मॉनिटरिंग होगी।
सुरक्षा कवच योजना से जुड़ेंगे ये विभाग
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली को लागू करने के लिए पांच प्रमुख हितधारक सूचीबद्ध किए हैं। इनमें राज्य सरकार का गृह विभाग, मंत्रालय का क्षेत्रीय कार्यालय, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, राज्य आपदा मोचन बल और जिला आपाद प्रबंधन अधिकारी देहरादून होंगे।
हर साल 800 से ज्यादा दुर्घटनाएं, 600 से ज्यादा मौतें
उत्तराखंड में 2,091 किमी के राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इसमें चारधाम महामार्ग परियोजना भी शामिल है, जो 889 किमी की प्रस्तावित है। चारधाम महामार्ग परियोजना का करीब 75 फीसदी कार्य पूरा चुका है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य के राष्ट्रीय राजमार्गों पर हर साल औसतन 700 से 800 सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 500 से 600 लोग मारे जाते हैं।
चारधाम महामार्ग परियोजना
889 किमी है कुल लंबाई
11700 करोड़ रुपये खर्च होंगे
670 किमी से पर कार्य जारी
645 किमी पर चौड़ीकरण पूरा
उत्तराखंड के राष्ट्रीय राजमार्गों पर दुर्घटनाएं
वर्ष दुर्घटनाएं मौतें घायल
2016 842 503 958
2017 908 584 940
2018 816 631 759
2019 662 428 705
स्रोत: केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट।
परियोजना के साथ राष्ट्रीय राजमार्गों की रियल टाइम मॉनिटरिंग करना होगा। राजमार्गों पर ट्रैफिक की स्थिति, उस पर होने वालीं घटनाओं पर हर पल नजर रहेगी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय चारधाम यातायात आपातकालीन घटना प्रबंधन प्रणाली का एक कांसेप्ट नोट तैयार कर रहा है। इस पर जल्द राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ बैठक होगी। योजना पर तेजी से कार्य किया जाएगा। -आरके सुधांशु, प्रमुख सचिव, लोनिवि
चारधाम महामार्ग परियोजना के लिए बनेगा सुरक्षा कवच, तैयार है प्रस्ताव
RELATED ARTICLES