फुटपाथ पर पैदल चलने वालों का अधिकार है, जबकि कई लोग फुटपाथ पर अतिक्रमण कर फेरी, फड़-ठेली लगा लेते हैं या बगीचे का विस्तार या सुरक्षा गार्ड का केबिन बना देते हैं। ये सार्वजनिक स्थान का अतिक्रमण हैं। फेरीवालों को मनमर्जी की इजाजत नहीं दी जा सकती है। फेरीवालों को हाकिंग नीति के अनुसार ही फेरी लगाने की अनुमति दी जा सकती है। वह घूम-घूमकर ही सामान बेच सकते हैं। जहां कहीं फुटपाथ पर अतिक्रमण पाया जाता है, वहां संबंधित व्यक्ति के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए और फुटपाथ से अतिक्रमण हटाया जाना चाहिए। अगर कोई मकान या दुकान मालिक अतिक्रमण हटाने के बाद फिर से फुटपाथ पर कब्जा कर लेता है तो उनके आवास-दुकान पर पानी, बिजली व सीवेज जैसी सेवाओं को बंद करने के लिए नियम बनाए जाने चाहिए। फुटपाथ पर होने वाले अतिक्रमण पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह टिप्पणी की थी। इसी परिपेक्ष्य में दून शहर में जागरण ने फुटपाथ की पड़ताल की तो यह सच सामने आया। पांच साल पहले 2017 में प्रदेश में जब भाजपा सरकार बनी तब तत्कालीन शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने देहरादून में माडल रोड का जो ख्वाब शहरवासियों को दिखाया था, वह 2022 में भाजपा के फिर सत्ता में आने के बाद भी अधूरा है। घंटाघर से आइएसबीटी तक करीब साढ़े छह किमी लंबी सड़क को माडल रोड बनाने का दावा किया था। माडल रोड तो यह कभी बन ही नहीं सकी, लेकिन जो कोशिश की गई, वह भी कामयाब नहीं हुई। लगभग आठ करोड़ रुपये खर्च कर यहां बनाए गए फुटपाथ पर अतिक्रमण हो चुका है, जबकि नाली बनाने का काम अब तक अधूरा है। जहां पर पांच साल पूर्व अतिक्रमण हटाया गया था, वहां दोबारा अवैध कब्जे हो चुके हैं।
सड़क तक पसरा है अतिक्रमण
आइएसबीटी से घंटाघर तक माडल रोड की नाली और फुटपाथ पर जहां भी काम हुआ है, वहां अतिक्रमणकारियों ने कब्जा कर लिया है। साढ़े छह किमी क्षेत्र में छोटे बड़े 600 अतिक्रमण हो गए हैं। माडल रोड के फुटपाथ और नाली से बाहर सड़क तक अतिक्रमण किया हुआ है। शिमला बाइपास से लालपुल, पटेलनगर से सहारनपुर चौक, गांधी रोड से घंटाघर तक यही स्थिति है। आढ़त बाजार के बाटलनेक पर तो प्रशासन ने पहले ही कदम पीछे खींचे हुए हैं, लिहाजा यहां फुटपाथ तो दूर सड़क तक अतिक्रमण पसरा हुआ है।
जेसीबी गरजी, काम अब भी अधूरा
पूर्व शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने घंटाघर-आइएसबीटी रोड को अतिक्रमण से मुक्त कर माडल रोड बनाने का बीड़ा उठाया था। यह उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था व कौशिक ने खुद पैदल और ई-रिक्शा में सवार होकर सड़क के वास्तविक हालात देखे थे। उनके आदेश के बाद जून-2017 में इस मार्ग पर जेसीबी गरजी। दर्शनलाल चौक, इनामुल्ला बिल्डिंग, माजरा, निरंजनपुर आदि इलाके में बड़े अतिक्रमण ध्वस्त भी किए गए, लेकिन बाकी जगह सरकारी मशीनरी के कदम रुक गए। बहरहाल जहां अतिक्रमण ध्वस्त हुआ था, वहां नाली, फुटपाथ व रेलिंग के कार्य शुरू किए गए। एक साल में यह काम पूरा होना था, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी कहें या विभागों की मनमानी, कि यह काम पांच साल बाद भी अधूरा है।
फुटपाथ पर लगाए होर्डिंग
माडल रोड पर नगर निगम ने दस बड़े होर्डिंग फुटपाथ पर लगा रखे हैं। इन होर्डिंग के चलते फुटपाथ पर कोई भी आवाजाही नहीं कर सकता। अंधेरे में यदि आवाजाही की गई तो होर्डिंग सिर से टकरा सकता है।
सड़क घेरकर बनाई पार्किंग
माजरा में सड़क के दोनों तरफ आठ से ज्यादा प्राइवेट क्रेन फुटपाथ के पास पार्क की गई है। इन क्रेन को हटाने की हिम्मत पुलिस भी नहीं जुटा पाती है। कई बार यह क्रेन दुर्घटना का कारण भी बन गई हैं।
फुटपाथ पर सजा है कार बाजार
माजरा से भूसा स्टोर तक तीन किमी में फुटपाथ पर जगह-जगह कार बाजार सजा हुआ है। होटल सुंदर पैलेस के सामने और ब्रिडकुल पास, माजरा, पटेलनगर से लेकर मातावाला बाग तक कार बाजार सजा हुआ है। खुलेआम कारें फुटपाथ से लेकर सड़क तक पार्क की जा रहीं हैं। इससे यहां पैदल तो दूर वाहनों की आवाजाही भी मुश्किल होती है। यहां जाम लगने पर पैदल चलने वालों को खासी मुश्किलें उठानी पड़ती है।
फुटपाथ पर 28 गैराज व 84 वर्कशाप
साढ़े छह किमी क्षेत्र में 112 गैराज और वर्कशाप फुटपाथ पर सजे हुए है। वर्कशाप में बाइक और कारें रिपेयर करने का काम भी फुटपाथ और सड़क पर होता है। इससे पैदल चलने वालों को हाईवे पर आवाजाही करनी पड़ रही है। माजरा, गांधी रोड समेत इनामुल्ला बिल्डिंग के यही हाल हैं।
पानी में गए आठ करोड़ रुपये
प्रशासन माडल रोड की कसरत पर आठ करोड़ रुपये खर्च करने का दावा कर रहा है लेकिन मौजूदा हालात में यह बजट पानी में बहाने जैसा लग रहा है। आइएसबीटी से मंडी तक 30 से ज्यादा स्थान पर क्षतिग्रस्त नाली दुर्घटना को न्योता दे रही व यहां रेलिंग एक इंच भी भी नहीं लगी है। टाइल्स और स्लैब डालने का काम भी अधूरा है। लालपुल से प्रिंस चौक तक नाली और फुटपाथ बनने से पहले ही टूट गए। यहां नाली 22 स्थानों पर खुली पड़ी है। प्रिंस चौक से गांधी रोड और घंटाघर तक फुटपाथ तो बने, लेकिन रेलिंग का काम पूरा नहीं हुआ। वर्तमान में सड़क पर फुटपाथ न चलने के काम आ रहे और न ही जल निकासी हो पा रही है।
देहरादून: साढ़े छह किमी की माडल रोड के फुटपाथ पर 600 अतिक्रमण, आठ करोड़ रुपये खर्च कर यहां बनाए गए फुटपाथ
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