हल्द्वानी। विशेष न्यायाधीश (पॉक्सो) नंदन सिंह राणा की अदालत ने चार साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के मामले में सुनवाई के बाद बस चालक और परिचालक को दोषी पाया। अदालत ने दोनों को सात सात साल का कठोर कारावास और 60-60 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया।
एडीजीसी नवीन चंद्र जोशी के अनुसार नगर के एक स्कूल में पढ़ने वाली चार साल की बच्ची के साथ चालक और परिचालक ने गौलापार में लैंगिक अपराध किया था। बच्ची की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे लेकर तिकोनिया स्थित डॉ. मृदुला गुप्ता के पास गए। डॉक्टर ने पुष्टि की कि बच्ची के साथ किसी ने गलत कार्य किया है। घटना के बाद माता-पिता ने थाने में मुकदमा दर्ज नहीं कराया लेकिन ऐसे घृणित कृत्य के खिलाफ समाजसेवी अनिल गुप्ता सामने आए। उन्होंने 20 सितंबर 2018 को कोतवाली में बस चालक और परिचालक के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में पुलिस ने पनियाली कठघरिया निवासी बस चालक रतन सिंह और हीरानगर निवासी परिचालक प्रदीप जोशी को 21 सितंबर 2018 को गिरफ्तार कर लिया। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों को पेश किया। अदालत ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने और साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद चालक और परिचालक को घटना के लिए दोषी ठहराया।
अदालत ने धारा 9(च)(छ)/10 लैंगिक अपराध के तहत दोनों आरोपियों को सात-सात साल के कारावास के साथ दस-दस हजार रुपये का अर्थदंड और 75 किशोर न्याय अधिनियम के तहत पांच-पांच साल की सजा के साथ 50-50 हजार रुपये अर्थदंड से दंडित किया है।
स्कूल प्रबंधन ने पिता को कराया था चुप : जोशी
एडीजीसी नवीन चंद्र जोशी ने बताया कि पीड़ित के पिता ने धारा 164 के बयान में बताया था कि घटना के बाद वह स्कूल प्रबंधन के पास गया था। स्कूल प्रबंधन ने कहा था कि मुकदमा दर्ज कराने पर उसकी बदनामी होगी। उसकी बेटी का कोई भी स्कूल एडमिशन नहीं लेगा। वे अपने ढंग से चालक और परिचालक के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। इसी कारण उसने मुकदमा दर्ज नहीं कराया। पुलिस ने कॉलेज प्रबंधन के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था लेकिन प्रबंधन को हाईकोर्ट से राहत मिल गई थी।
चालक और परिचालक को सात सात की सजा
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