Sunday, November 24, 2024
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31 देवस्थलों के बाद घोड़ाखाल में संपन्न हुई गोल्ज्यू संदेश यात्रा

भवाली (नैनीताल)। 31 देवस्थलों का भ्रमण कर बृहस्पतिवार की शाम गोल्ज्यू संदेश यात्रा घोड़ाखाल के गोल्ज्यू मंदिर में पहुंची थी। यात्रा के दौरान 200 गांवों की समस्याओं को जाना समझा गया और हर क्षेत्र की संस्कृति का अध्ययन किया गया। गोल्ज्यू संदेश यात्रा से जुड़े पदाधिकारी अब यात्रा में मिले अनुभवों, लोगों की समस्याओं, संस्कृति संरक्षण समेत तमाम बिंदुओं पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेंगे ताकि यात्रा से मिले अनुभवों के आधार पर ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जा सके।
गोल्ज्यू संदेश यात्रा के घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर पहुंचने पर मंदिर के पुरोहित जगदीश जोशी के नेतृत्व में ढोल नगाड़ों से स्वागत किया गया। शाम को पूजा अर्चना के बाद देर रात तक जागर लगी। शुक्रवार को मंदिर में सुबह पूजा अर्चना के बाद हवन यज्ञ का किया गया। भंडारे के साथ समापन हुआ। यात्रा के आयोजक अपनी धरोहर सोसायटी के अध्यक्ष और पूर्व डीआईजी गणेश मर्तोलिया ने बताया कि 200 गांवों के लोगों की समस्याओं को सुनते हुए वहां की संस्कृति का भी अध्ययन किया गया। उन्होंने बताया कि 13 दिन के अंदर 2200 किमी की यात्रा कर तमाम जानकारी एकत्रित की गई है। जिसको राज्य सरकार के सामने रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि धरोहर सोसाइटी की ओर से यात्रा बोना गांव से शुरू हुई। मर्तोलिया ने बताया कि करीब 25 हजार फीट ऊंचाई पर बसे गांव तक पहुंचने के लिए 14 किमी दुरूह पैदल रास्ता तय करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि यात्रा पिथौरागढ़, बागेश्वर, द्वाराहाट, देहरादून, घुना रामनी, अल्मोड़ा, चंपावत, हल्द्वानी होते हुए घोड़ाखाल गोल्ज्यू मंदिर पहुंची। जहां शुक्रवार को विधि विधान से मंदिर में पूजा अर्चना और हवन यज्ञ के साथ यात्रा का समापन हुआ। शुक्रवार को मंदिर परिसर में सैकड़ों लोगों ने गोल्ज्यू संदेश यात्रा में शामिल होकर गोल्ज्यू का आशीर्वाद लिया। यात्रा में सचिव विजय भट्ट, श्याम सुंदर रौतेला, ललित पंत समेत तमाम लोग मौजूद रहे।
गोल्ज्यू संदेश यात्रा के निकलेंगे सार्थक परिणाम: मर्तोलिया
भवाली (नैनीताल)। यात्रा के संयोजक पूर्व डीआईजी गणेश मर्तोलिया ने बताया कि पहाड़ की समस्याओं और यहां के मर्म को समझने के लिए एक गोल्ज्यू संदेश यात्रा एक सार्थक पहल थी। यात्रा ने उत्तराखंड में 13 दिन के भीतर करीब 2200 किमी की यात्रा करते हुए तमाम जानकारियां एकत्र की हैं जिन्हें समग्र रूप से संकलित कर उत्तराखंड सरकार के सामने रखा जाएगा। ताकि यहां की संस्कृति को और मजबूती से बढ़ावा दिया जा सके।

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