रामनगर (नैनीताल)। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर नौकरी पाने वाले शिक्षक को पांच साल सश्रम कारावास और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। अर्थदंड नहीं देने पर एक माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
सहायक अभियोजन अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि 2017 में बेसिक शिक्षा विभाग उत्तराखंड ने कार्यरत फर्जी शिक्षकों के प्रमाण पत्रों की जांच एसआईटी अपराध अनुसंधान खंड देहरादून से कराई थी। जांच में प्राथमिक विद्यालय थारी रामनगर में नियुक्त शिक्षक रामकिशोर पुत्र मनोहर सिंह का असली नाम नरेश पुत्र झंडू सिंह सामने आया। वह फर्जी दस्तावेजों से नौकरी कर रहा था। इस मामले में 8 मार्च 2018 को धारा 420, 467, 468, 471 में मुकदमा दर्ज किया गया और 25 मार्च 2019 को आरोप पत्र दाखिल हुए।
सहायक अभियोजन अधिकारी के अनुसार नरेश सिंह पुत्र झंडू सिंह निवासी आरकेपुरम गली नंबर तीन कचनालगाजी काशीपुर ने रामकिशोर पुत्र मनोहर सिंह निवासी मुरादाबाद की वर्ष 1985 के हाईस्कूल, 1987 के इंटरमीडिएट के प्रमाण पत्रों में छेड़छाड़ कर 1996 में शिक्षा विभाग में नौकरी पा ली थी। नरेश सिंह की पहली तैनाती 1996 में अल्मोड़ा के स्यादे ब्लॉक के कलियागुड़ी राजकीय प्राथमिक विद्यालय में हुई। 2002 में वह राजकीय प्राथमिक विद्यालय बेरिया रामनगर और बाद में राजकीय प्राथमिक विद्यालय थारी में प्रधान अध्यापक के पद पर तैनात हुआ। एसआईटी जांच में पकड़े जाने पर 2017 में ही शिक्षक को बर्खास्त कर दिया था, तब से मुकदमा चल रहा था। उन्होंने बताया कि फर्जी शिक्षक को धारा 420 में तीन साल की सजा, दो हजार अर्थदंड, धारा 467 में पांच साल, एक हजार रुपये अर्थदंड, 468 में तीन साल की सजा, एक हजार रुपये अर्थदंड व 471 में तीन साल की सजा, एक हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
फर्जी दस्तावेजों से नौकरी करने वाले शिक्षक को सजा
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