उत्तराखंड में अब कोई भी विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह के लिए आनाकानी नहीं कर पाएगा। शासन ने राज्य के हर विश्वविद्यालय के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन अनिवार्य कर दिया है। दीक्षांत समारोह नहीं कराने वाले विश्वविद्यालयों को मिलने वाले अनुदान में कटौती की जा सकती है। पूरे साल बेहतर प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों को अतिरिक्त सहायता मुहैया कराई जाएगी।
कोरोना काल में राज्य के कई विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह नहीं करा पाए। इसके पहले और बाद में भी कई कारणों के चलते विश्वविद्यालयों में दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं हुआ। इसी को ध्यान में रखते हुए शासन ने राज्य के हर विश्वविद्यालय के लिए दीक्षांत समारोह अनिवार्य कर दिया है। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने बताया कि अब हर हाल में हर विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह का आयोजन करना होगा। इसका आयोजन नहीं कर सकने वाले विश्वविद्यालयों को शासन से मिलने वाले अनुदान में कटौती भी की जा सकती है। दीक्षांत समारोह हर विश्वविद्यालय की उपलब्धियों का आईना होता है। समारोह के माध्यम से विश्वविद्यालयों के छात्रों के साथ ही कैंपस की उपलब्धियों का भी पता चलता है। बेहतर प्रदर्शन करने वाले विश्वविद्यालयों व शोध कार्यों को बढ़ावा देने वाले कैंपसों को उल्लेखनीय कार्यों के लिए सहायता दी जाएगी। शासन स्तर से राज्य के हर विश्वविद्यालय को दीक्षांत समारोह की अनिवार्यता के आदेश जारी कर दिए गए हैं। दीक्षांत समारोह की वार्षिक रिपोर्ट, शोध कार्यों व उपलब्धियों के आधार पर ही विश्वविद्यालयों को शासन से अनुदान जारी किया जाएगा। – डॉ. धन सिंह रावत, उच्च शिक्षा मंत्री
उत्तराखंड के हर विश्वविद्यालय के लिए अब दीक्षांत समारोह जरूरी, शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने दिए निर्देश
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