नैनीताल। हाईकोर्ट को अन्यत्र शिफ्ट करने को लेकर हो रही कवायद से हाईकोर्ट के अधिवक्ता दो खेमों में बंट गए हैं। एक पक्ष में नाराजगी है तो एक इससे खुश है। हाईकोर्ट अन्यत्र शिफ्ट होने की पहल से नाराज पक्ष ने दूसरे दिन भी हाईकोर्ट बार सभागार में बैठक की जिसमें हाईकोर्ट शिफ्टिंग के प्रयासों की निंदा की गई। वहीं दूसरे पक्ष ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता एमसी कांडपाल के चैंबर में मिठाई बांटी। हाईकोर्ट शिफ्टिंग के पक्षधर अधिवक्ताओं ने प्रधानमंत्री, कानून मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, मुख्य न्यायाधीश उत्तराखंड हाईकोर्ट समेत प्रदेश के मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजकर हाईकोर्ट को गौलापार हल्द्वानी शिफ्ट करने की मांग की है। साथ ही इस प्रपत्र में हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं के हस्ताक्षर भी कराए गए हैं। कांडपाल के मुताबिक 114 अधिवक्ताओं ने इसमें हस्ताक्षर किए हैं।
उधर, हाईकोर्ट शिफ्ट करने का विरोध कर रहे अधिवक्ताओं की बृहस्पतिवार को दूसरे दिन हुई बैठक में राज्य आंदोलनकारी अधिवक्ता रमन साह ने कहा कि यूपी सरकार ने वर्ष 1998 में उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर हाईकोर्ट के इलाहाबाद में ही रहने का प्रस्ताव पारित किया जिसका राज्य आंदोलनकारियों ने विरोध किया था। राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर वर्ष 2000 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रपति की ओर राज्य की हाईकोर्ट मल्लीताल नैनीताल में करने की घोषणा की गई। अधिवक्ता और भाजपा नेता नितिन कार्की ने कहा कि नैनीताल से हाईकोर्ट से शिफ्ट किए जाने के विरुद्ध उन्होंने प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री आदि को ज्ञापन दिया है। कहा कि हाईकोर्ट शिफ्टिंग को लेकर क्षेत्र की जनता में भी रोष है। यदि यह पहल हुई तो राज्य आंदोलनकारी व क्षेत्रवासी व्यापक आंदोलन करेंगे। इस मौके पर पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेंद्र पाल, एमसी पंत, दुर्गा मेहता, डीके जोशी, भुवनेश जोशी, शक्ति सिंह, टीसी पांडे, सूरज पांडे, के जाफरी, विश्नोई आदि मौजूद रहे।
हाईकोर्ट शिफ्टिग को लेकर अधिवक्ताओं दो खेमों में बंटे
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