Tuesday, December 2, 2025
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जच्चा-बच्चा की मौत: डॉक्टरों को क्यों नहीं सुनाई दीं नाबालिग गर्भवती की चीखें? सवालों के घेरे में जिला अस्पताल

जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग में हुई घटना कई सवाल छोड़ गई है। रात के घोर अंधेरे में नाबालिग प्रसव पीड़िता की चीख आखिर क्यों किसी के कानों तक नहीं पहुंची… यह सवाल हर किसी की जुबां पर है। जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग प्रबंधन जो कहानी बता रहा है उसकी सच्चाई तो जांच के बाद ही पता चलेगी। अस्पताल प्रबंधन भले ही मामले में परिजनों की लापरवाही बता रहा है लेकिन कई सवालों के जवाब उसके पास भी नहीं हैं। पहला सवाल यह है कि आखिर प्राथमिक जांच में डॉक्टर को लड़की के गर्भवती होने की बात क्यों नहीं पता चली। लड़की को वार्ड में भर्ती किया जाता है लेकिन उसका मर्ज डॉक्टर नहीं समझ पाते। गर्भवती लड़की के शारीरिक परिवर्तन भी किसी को नजर नहीं आए। इन सबके बीच उसे चिकित्सक सामान्य तरीके से जनरल वार्ड में भर्ती कर देते हैं। शुक्रवार रात लड़की को जब प्रसव पीड़ा हुई तो किसी को उसका कराहना क्यों नहीं सुनाई दिया। इसके बाद जब वह वार्ड से बाहर आई तो उसे किसी ने क्यों नहीं देखा।
वह प्रसव पीड़ा के असहनीय दर्द में बाथरूम में गई और वहां से बच्चे को जन्म देकर वार्ड में आ गई, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। बाथरूम में प्रसव पीड़िता की चीख दबकर कैसे रह गई। फिर नाबालिग लड़की बच्चे को जन्म देकर वापस वार्ड में आई तो उसकी पीड़ा पर किसी ने क्यों ध्यान नहीं दिया। वार्ड में जब नाबालिग अपने बिस्तर में गई होगी तो उसकी हालत वहां तैनात पैरामेडिकल स्टाफ को नजर क्यों नहीं आई। दूसरी तरफ इस घटना के दौरान या बाद में क्या कोई अन्य शौचालय में नहीं गया। क्योंकि शनिवार को सफाई कर्मी जब शौचालय में पहुंचा तो उसे वहां मृत बच्चा मिला। मामले में अस्पताल प्रबंधन जो कहानी बता रहा है उसमें सच्चाई कम और लीपापोती ज्यादा नजर आ रही है। अहम बात यह है कि पूरा अस्पताल सीसीटीवी कैमरा से लिंक है और इसका कंट्रोल रूम सीएमएस कार्यालय में है। सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जाए तो इन सवालों के जवाब सामने आ जाएंगे। वर्ष 2021 के लिए कायाकल्प योजना में प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान पर रहने वाले जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के लिए एक नाबालिग प्रसव पीड़िता और उसके नवजात बच्चे की मौत स्वास्थ्य महकमे के लिए कई सवाल छोड़ गई है।
पहले भी हो चुकी जच्चा-बच्चा की मौत
जिला चिकित्सालय में जुलाई 2018 में जच्चा-बच्चा की मौत प्रबंधन की लापरवाही को बयां कर चुकी है। एक गर्भवती को पूरे दिनभर यह कहकर भर्ती रखा गया था कि उसकी हालत ठीक है और प्रसव में अभी कुछ समय है। इसके बाद देर रात महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया था। चिकित्सक रक्तस्राव रोकने में सफल नहीं हो पाए जिस कारण महिला की मौत हो गई थी। वहीं, बच्चे ने भी कुछ ही देर में दम तोड़ दिया था। दो माह पूर्व सीएचसी जखोली में भी इसी तरह का मामला हुआ था। वहीं, इसी वर्ष अप्रैल में जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग से प्रसव के बाद रेफर की गई महिला की बेस अस्पताल में मौत हो गई थी। बाद में बच्चे ने भी दम तोड़ दिया था।

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