Thursday, October 31, 2024
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हरिद्वार की तर्ज पर विकसित होगा बागनाथ धाम

बागेश्वर। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के तीर्थ यात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक विरासत संवर्धन अभियान (प्रसाद) के तहत बागेश्वर के विख्यात बागनाथ धाम को हरिद्वार की तर्ज पर विकसित करने की योजना है। इसके लिए उनचास करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं। योजना के तहत आस्थापथ, पुल निर्माण, बागनाथ मंदिर का रासायनिक उपचार, घाटों का सौंदर्यीकरण समेत होंगे कई कार्य होंगे। बाबा बागनाथ का धाम नए रूप-रंग में नजर आएगा। योजना के तहत बागनाथ मंदिर के पास बने गोमती पुल से सरयू संगम तक दोनों तरफ आस्था पथ का निर्माण होगा। दोनों ओर पार्किंग बनाई जाएगी। गोमती नदी पर लोनिवि आवासीय काॅलोनी क्षेत्र को जोड़ने के लिए पैदल पुल बनाया जाएगा। मंदिर के पास स्थित भवनों में पर्वतीय शैली के तहत एकरूपता लाई जाएगी। विकास भवन से नुमाइशखेत को आने वाली सड़क के दोनों ओर रोशनी की व्यवस्था जाएगी। पैदल पथ का निर्माण होगा। चिल्ड्रन पार्क का अवशेष काम पूरा होगा। डीएम अनुराधा पाल ने बताया कि बागनाथ मंदिर परिसर के साथ ही मंदिर के पास स्थित शिव मूर्ति और घाटों का सौंदर्यीकरण होगा। पालिका की हट के साथ ही नुमाइशखेत मैदान, रामलीला मंच का सौंदर्यीकरण होगा।
बिजली वाली और परंपरागत शवदाह की व्यवस्था
बागेश्वर। डीएम अनुराधा पाल ने बताया कि प्रसाद योजना के तहत बागनाथ धाम के पास स्थित शवदाह गृह के आधे हिस्से में बिजली से शवदाह और आधे हिस्से में परंपरागत शवदाह की व्यवस्था होगी। लोग किसी भी विधि से शवदाह कर सकेंगे।
बहुमंजिली पार्किंग का प्रयास
बागेश्वर। जिला प्रशासन प्रसाद योजना के तहत बहुमंजिली पार्किंग का निर्माण कराने का प्रयास कर रहा है। डीएम ने बताया कि गोमती नदी के पास स्थित जूना अखाड़े की भूमि पर अखाड़े के साथ अनुबंध कर बहुमंजिली पार्किंग बनाने का प्रस्ताव अखाड़ा प्रबंधन के सामने रखा गया था लेकिन अखाड़ा प्रबंधन सहमत नहीं है। अखाड़े को पार्किंग का संचालन का जिम्मा देने के लिए तैयार हैं। फिर से अखाड़ा प्रबंधन से बात की जाएगी। प्रसाद योजना के तहत दूसरे चरण में चंडिका मंदिर और नीलेश्वर धाम को रोपवे से जोड़ने की योजना है। हालांकि आय के लिहाज से रोपवे बनाने के प्रस्ताव को मुफीद नहीं माना गया है।
नागर शैली में बना है बागनाथ मंदिर
बागेश्वर। बागनाथ मंदिर को उत्तर भारत का एकमात्र दक्षिणमुखी प्राचीन शिव मंदिर माना जाता है। मंदिर का निर्माण वर्ष 1602 में चंद शासक लक्ष्मी चंद ने कराया था। कुछ इतिहासकार मंदिर को सातवीं से नवीं सदी का बताते हैं। पहले मंदिर छोटे स्वरूप में था। पौराणिक महत्व के इस मंदिर का निर्माण नागर शैली में कराने का उल्लेख इतिहास में पाया जाता है।
प्रसाद योजना से ही हुआ केदारनाथ धाम का कायाकल्प
बागेश्वर। प्रसाद योजना से ही केदारनाथ धाम का भी कायाकल्प हुआ है। केदारनाथ धाम के लिए पहले चरण में दो सौ पच्चीस करोड़, दूसरे चरण में एक सौ चौरासी करोड़ रुपये मंजूर किए गए थे। बदरीनाथ धाम के लिए उनतालीस करोड़ से अधिक, यमुनोत्री के लिए पैंतीस करोड़, गंगोत्री के लिए दस करोड़ रुपये योजना के तहत दिए गए।
दो सादे कोट
हाल में प्रसाद योजना की कंसलटेंसी टीम ने योजना के तहत चिह्नित स्थलों का निरीक्षण किया है। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय को डीपीआर सौंपी जा चुुकी है। डीपीआर में कुछ बदलाव होने थे। संशोधन कर भेज दिए गए हैं। – अनुराधा पाल, डीएम, बागेश्वर।
प्रसाद योजना के तहत बागनाथ धाम को हरिद्वार की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। घाटों को सुंदर बनाया जाएगा। बागनाथ धाम नया स्वरूप लेगा। बागनाथ धाम के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। – चंदन राम दास, समाज कल्याण मंत्री,उत्तराखंड।

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