बागेश्वर। बागेश्वर का प्राचीन इतिहास समृद्धशाली और वैभवशाली रहा है। अतीत में बागेश्वर क्षेत्र पर कत्यूरी और चंद शासकों का राज रहा है। बागेश्वर के बैजनाथ को प्राचीनकाल में कार्तिकेयपुर के नाम से जाना जाता था। तब यह कत्यूरी राजवंश के शासकों की राजधानी था। देश की आजादी तक यह गौरव बरकरार था। उपेक्षा कहें या अनदेखी देश कि आजादी के बाद इस ऐतिहासिक धरती को वह मान सम्मान और महत्व नहीं मिला, जिसकी यह धरती हकदार थी। प्राचीन इतिहास में उल्लेख मिलता है कि कार्तिकेयपुर (बैजनाथ) को कत्यूरी शासक नरसिंह देव ने बसाया था। 7वीं से 11वीं शताब्दी तक कार्तिकेयपुर में कत्यूरी शासकों का राज रहा। हालांकि इसमें कुछ भ्रांतियां भी हैं। कत्यूरी शासनकाल को लेकर इतिहासकारों के अलग-अलग मत हैं। उल्लेख मिलता है कि वर्ष 1111 में नेपाली आक्रमणकारी क्रंचलदेव ने बैजनाथ पर आक्रमण कर कत्यूरी राजाओं को पराजित कर दिया। इसके बाद कत्यूरी राजवंश का 8 अलग-अलग रियासतों में राज रहा। वर्ष 1565 तक कत्यूरी राजवंश का बैजनाथ क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों में राज रहने का उल्लेख इतिहास में मिलता है। इस ऐतिहासिक, पौराणिक धाम को आजाद भारत के शासक धाम का दर्जा नहीं दे पाए। पर्यटन सर्किट से तक नहीं जोड़ा गया। तमाम असुविधाएं मुंह बाए खड़ी हैं।
धाम के कारण नाम पड़ा बैजनाथ
बागेश्वर। कत्यूरी राज में बैजनाथ में बैजनाथ धाम की स्थापना हुई। इसी धाम के कारण उस इलाके को बैजनाथ नाम से पुकारा जाता है। भगवान बैजनाथ का मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। संवाद
सैकड़ों ऐतिहासिक मूर्तियां ताले में बंद
बागेश्वर। पुरा तात्विक महत्व का बैजनाथ मंदिर भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन है। मंदिर की देखरेख विभाग करता है, लेकिन देखरेख में कमी कहें या संजीदगी की कमी। धाम तमाम असुविधाएं झेल रहा है। बैजनाथ में कत्यूरी काल की सैकड़ों ऐतिहासिक मूर्तियां हैं। इन मूर्तियों को मंदिर परिसर की प्राचीन इमारत में रखा गया है और बाहर से ताला लगा है। इन प्राचीन मूर्तियों के दीदार कोई नहीं कर सकता। लंबे समय से बैजनाथ मंदिर परिसर में संग्रहालय बनाने की मांग उठ रही है, ताकि ऐतिहासिक मूर्तियों को संग्रहालय में सहेजा जा सके।
नहीं हुआ बैजनाथ हेलीपैड का विस्तार
बागेश्वर। बागेश्वर जिले के धार्मिक, साहसिक पर्यटन स्थलों के विकास के लिए बीते चार सितंबर को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बैजनाथ के हेलीपैड का विस्तार कर हवाई सेवा शुरू करने का ऐलान किया था। अब तक घोषणा परवान नहीं चढ़ी है।
कोट
ऐतिहासिक, पौराणिक महत्व के बैजनाथ की व्यवस्थाएं दुरुस्त करने की दिशा में कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। सबसे पहले धाम में संग्रहालय का निर्माण होना चाहिए। – त्रिलोक गिरी पुजारी बैजनाथ धाम
कोट
बैजनाथ धाम में संग्रहालय बनाने का मामला भारत सरकार के सामने रखा गया है। इसके लिए गंभीरता से प्रयास किए जाएंगे। बैजनाथ के साथ ही जिले के अन्य धाम जल्द पर्यटन सर्किट से जुड़ेंगे। इसके लिए योजना तैयार की जा रही है। सीएम की घोषणा के अनुरूप बैजनाथ हेलीपैड का विस्तार होगा। इसका सर्वे हो गया है। – चंदन राम दास समाज कल्याण मंत्री
देश की आजादी से पहले तक बरकरार था कार्तिकेयपुर का रुतबा
RELATED ARTICLES