विधानसभा चुनाव में कुमाऊं में 174 प्रत्याशी जमानत बचाने में नाकामयाब रहे। 22 विधानसभा सीटों पर तो भाजपा-कांग्रेस प्रत्याशियों के अलावा कोई भी जमानत नहीं बचा पाया। अपनी सीट पर कुल मतदान का छठा हिस्सा तक न ला पाने वालों में उक्रांद, सपा, बसपा, आम आदमी पार्टी के भी प्रत्याशी शामिल हैं।
किसी भी चुनाव में जीत दर्ज करना ही सबसे बड़ी चुनौती नहीं होती, बल्कि जमानत बचाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है। किसी प्रत्याशी को प्राप्त वोट ही उसके दबदबे का सबूत होते हैं। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद से अब तक 4 विधानसभा चुनाव यहां की जनता देख चुकी है। कुमाऊं मंडल की बात करें तो यहां 2017 के चुनाव में 29 सीटों पर 258 प्रत्याशी चुनाव लड़े थे। जिनमें से 193 जमानत बचाने लायक वोट तक नहीं ला सके थे। सबसे अधिक जमानत जब्त तराई की सीटों पर हुई थी। बिना जनाधार और राजनीतिक वर्चस्व के उधमसिंह नगर जिले की नौ विधानसभा में चुनाव लड़ने की होड़ ऐसी रही कि 69 प्रत्याशियों की जमानत ही जब्त हो गई। नैनीताल जिले की 6 सीटों पर 57 में से 42, पिथौरागढ़ की 4 में सीटों पर 24, बागेश्वर की दो सीटों पर 11, अल्मोड़ा की 6 सीटों पर 39 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी। इनमें अधिकांश छोटे राजनीतिक दल और निर्दलीय प्रत्याशी शामिल रहते हैं। यही कारनामा इस बार भी दोहराया गया है। 29 सीटों पर 241 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे। सिर्फ वोट काटने, पार्टी से टिकट न मिलने की नाराजगी में पर्चा दाखिल करने वाले 174 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गई है। नैनीताल और उधमसिंह नगर जिले में सबसे अधिक प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई है।
7 सीटों पर ही त्रिकोणीय मुकाबला
क्षेत्र में जितने अधिक प्रत्याशियों का दबदबा होगा, चुनाव उतना ही दिलचस्प होता है। इस बार कुमाऊं की 7 सीटें ऐसी रहीं जिनमें मुकाबला काफी हद तक त्रिकोणीय रहा। द्वाराहाट, बागेश्वर, भीमताल, डीडीहाट, रामनगर, रुद्रपुर और बाजपुर विधानसभा में तीन-तीन प्रत्याशियों के बीच अच्छा खासा वोट शेयर हुआ। ये सभी ऐसी सीटें हैं जिनमें 3 प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल हो सके हैं।
भाजपा-कांग्रेस की लड़ाई में 174 प्रत्याशियों की जमानत जब्त
RELATED ARTICLES