पंतनगर। श्रमिकों के विरोध को दबाने के लिए पंतनगर में 13 अप्रैल 1978 को हुए गोलीकांड में 14 श्रमिकों की मौत हो गई थी। यह तारीख पंतनगर विश्वविद्यालय के गौरवशाली इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है। उस भयानक मंजर को देख चुके गिने चुने लोग ही आज जिंदा हैं। पंत विवि से सेवानिवृत्त और 1978 के आंदोलन का हिस्सा रहे 89 वर्षीय यूबी सिंह ने बताते हैं कि पंतनगर विवि में 1978 से पूर्व मजदूरों की हालत बहुत ही दयनीय थी। अस्थायी रूप में कार्यरत मजदूरों का शोषण चरम पर था। विरोध में उठने वाली हर आवाज विवि प्रशासन की ओर से दबा दी जाती थी।
1977 में गठित ”पंतनगर कर्मचारी संगठन” ने मजदूरों की आवाज को बुलंद किया था और तत्कालीन कुलपति ने मजदूरों की छंटनी, निलंबन और तबादलों से उत्पीड़न शुरू कर दिया। मजदूरों ने इसके विरोध में आंदोलन शुरू कर एक हजार से अधिक सामूहिक गिरफ्तारियां दी थीं। कुलपति के आग्रह पर तत्कालीन सरकार ने विवि में हड़ताल पर पाबंदी (एस्मा) लगा दी। संगठन ने 11 अप्रैल से हड़ताल की घोषणा की थी और प्रशासन ने परिसर में धारा 144 लागू कर दी थी। 13 अप्रैल को झा-कालोनी मंदिर परिसर में सभा के बाद जुलूस निकालने की तैयारी कर रहे मजदूरों पर पुलिस और पीएसी जवानों ने गोलियों की बौछार कर दी थी।
तीन शवों के साथ रातभर नाले में रहे यूबी सिंह
यूबी कहते हैं उनकी किस्मत अच्छी थी कि जान बचाकर भागते समय वे नाले में गिर गए थे और डर के चलते तीन शवों और एक घायल के साथ रात भर नाले में ही पड़े रहे। बताया कि इस बर्बर गोलीकांड में प्रशासन ने 14 मजदूरों की मौत और सौ लोगों के घायल होने की पुष्टि की थी। इस हादसे से आहत विवि के छात्र भी मजदूरों के समर्थन में सड़क पर उतर आए थे।
45 वर्ष में भी लागू नहीं हुईं कमीशन की सिफारिशें
पंतनगर। गोलीकांड के बाद हरकत में आए भारत सरकार के गृह मंत्रालय और मानवाधिकार आयोग के दबाव में तत्कालीन उत्तर प्रदेश शासन कोे गोलीकांड मामले में जांच बैठानी पड़ी। जांच में श्रीवास्तव कमीशन ने पाया कि विवि प्रशासन के साथ ही यूनियन की गलत नीतियां भी बराबर की जिम्मेदार थीं। कमेटी ने पांच प्रमुख बिंदुओं को इंगित करते हुए, उन्हें विवि में तत्काल लागू करने की सिफारिश उत्तर प्रदेश सरकार से की थी। लेकिन 45 वर्ष बीतने के बाद भी कमीशन की सिफारिशों को विवि में लागू नहीं किया गया है।
पंत विवि के इतिहास में काले अध्याय के रूप में दर्ज है 13 अप्रैल
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