महालेखाकार (कैग) की आडिट रिपेार्ट में पकड़ी गई लापरवाहियां, धांधली और वित्तीय अनियमितता के मामलों में शिक्षा विभाग के अफसरों से जवाब देते नहीं बन रहा। ऑडिट रिपोर्ट में पाई गई 443 विभिन्न मामलों में अधिकार आधों का भी जवाब दाखिल नहीं कर पाए। समग्र शिक्षा अभियान में तो हालत और भी बुरी है। चार महीनों के बाद भी 173 विभिन्न मामलों में केवल 96 मामलों में ही कार्रवाई की रिपेार्ट मिल पाई है। चमोली, चंपावत, देहरादून, रुद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के जिला परियोजना अधिकारियों ने एक भी मामले में अनुपालन रिपेार्ट अब तक नहीं दी। डीजी-शिक्षा/ एसपीडी-समग्र शिक्षा अभियान बंशीधर तिवारी ने एक बार फिर से अधिकारियों को कड़ा पत्र भेजते हुए कार्रवाई के लिए चेताया है। महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट शिक्षा विभाग के लिए गले की फांस बन चुकी है। जहां महालेखाकार ने ऑडिट आपत्तियां का जवाब न दिए जाने पर नाराजगी जताई है। वहीं, सचिव, महानिदेशक और निदेशक के तमाम निर्देशों के बावजूद जिलास्तरीय शिक्षा अधिकारी आपत्तियां का जवाब देने में रुचि नहीं ले रहे।
यह है मामला
पिछले पांच साल में महालेखाकार ने शिक्षा विभाग में 443 ऐसे मामले पाए हैं, जिसमें अफसरों ने विभाग को आर्थिक चूना लगाया है या लापरवाही के कारण शिक्षा की गुणवत्त्ता प्रभावित हुई है। महालेखाकार के निर्देश के बावजूद शिक्षा विभाग ने मामले में कार्रवाई नहीं की। माध्यमिक शिक्षा निदेशक और डीजी ने महालेखाकार की नाराजगी को देखते हुए जिला स्तरीय अधिकारियों से सभी मामलों में तत्काल रिपेार्ट देने के निर्देश दिए हैं। दिसंबर 2021 से लगातार जांच रिपेार्ट मांगी जा रही है, लेकिन कार्यवाही की रफ्तार बेहद धीमी है।
अधिकारियों को 18 मई तो सभी रिपेार्ट देनी होंगी। रिपोर्ट देने में विलंब होने पर यदि शासन और महालेखाकार के स्तर से कोई कार्रवाई होती है तो उसके लिए संबंधित जिला परियोजना अधिकारी खुद जिम्मेदार होंगे। – बंशीधर तिवारी, डीजी-शिक्षा/एसपीडी-एसएसए
कैग ने शिक्षा विभाग में पकड़े घपले तो घोटाले दबा रहे हैं अफसर, जानें मामले
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