शांतिपुरी। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शांतिपुरी की महिला चिकित्सक की ओर से मरीजों से दुर्व्यवहार को लेकर गुस्साए ग्रामीणों के धरने पर बैठने से पहले चिकित्सा अधीक्षक एचसी त्रिपाठी ने मौके पर पहुंचकर बात कर मामले को शांत करा लिया। बीते कुछ दिनों से महिला चिकित्सक के डिलीवरी के लिए आने वाली महिलाओं, तीमारदारों के साथ दुर्व्यवहार और प्राथमिक जांच किए बगैर डिलीवरी के लिए महिलाओं को बाहर भेजने की समस्या से ग्रामीण नाराज है। उन्होंने अस्पताल प्रशासन की शिकायत उच्चाधिकारियों से की थी। मामला सुलझने के बजाय अस्पताल कर्मियों में धड़ेबाजी हो गई। इसका असर मरीजों और तीमारदारों पर पड़ रहा था। रविवार को विधायक तिलक राज बेहड़ से ग्रामीणों ने शिकायत की थी।
सोमवार को अस्पताल परिसर में डॉक्टरों की रात्रि इमरजेंसी सेवा बहाल करने, अस्पताल परिसर में बिजली पानी एवं डिलीवरी वार्ड में समुचित संसाधनों और महिला चिकित्सक के दुर्व्यवहार से निजात दिलाने की मांगों को लेकर धरना देने के लिए ग्रामीण इकट्ठा हुए। इससे पहले चिकित्सा अधीक्षक ने ग्रामीणों को एक माह के अंदर समस्याओं का निराकरण करने के आश्वासन दिया जिस पर ग्रामीणों ने धरना स्थगित कर दिया। अस्पताल में चल रही गुटबंदी ग्रामीणों व चिकित्सा अधीक्षक की वार्ता के बीच भी प्रत्यक्ष रूप से सामने आ गई। एक पक्ष ने वार्ता के बीच आकर अपने पक्ष में बात मनवाने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया। अस्पताल के अन्य कर्मियों व चिकित्सा अधीक्षक ने उन्हें शांत किया। चिकित्सा अधीक्षक ने अस्पताल परिसर में लेबर रूम, वेटिंग वार्ड आदि का निरीक्षण कर कर्मचारियों को व्यवस्थाओं को ठीक करने के निर्देश दिए। इस दौरान कांग्रेस प्रदेश सचिव विनोद कोरंगा, पूर्व दुग्ध संघ अध्यक्ष एडवोकेट राजेंद्र प्रसाद शर्मा, प्रेम आर्य, कांग्रेस जिला महामंत्री मोहन पांडे, नरेश बिष्ट, महिला समूह की अध्यक्ष कविता तिवारी, कैलाश जोशी, बिशन सिंह कोरंगा, किशन सिंह चौहान, चंदन कोरंगा, इंदर मेहता आदि थे।
शांतिपुरी में चिकित्सा अधीक्षक के मान मनौव्वल के बाद धरना स्थगित
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