लालकुआं। वर्ष 2013 में धारचूला के छिरकिला, सोबला और खेत गांवों में आपदा आफत बनकर टूटी थी। सरकार ने इन परिवारों को विस्थापित करने का निर्णय लिया। इन परिवारों को जमीन खरीदने के लिए सात.सात लाख रुपये दिए गए। यह सभी परिवार यहां बमेठा बंगर खीमा ग्राम सभा के राधाबंगर में बस गए। 2013 से अब तक यानी दस वर्षों में इन्हें पेयजल कनेक्शन नहीं मिल पाया है। जबकि यहां से महज 50 मीटर दूरी पर बसे लोगों के घर.घर में पेयजल कनेक्शन है। यह परिवार एक मात्र इंडिया मार्का हैंडपंप से प्यास बुझा रहे हैं। गर्मियों ने भूजल स्तर कम होने पर हैंडपंप से भी आपूर्ति नहीं हो पाती।
यहां सोलर पंप भी लगाया गया है लेकिन असामाजिक तत्वों दने उसकी प्लेटें चोरी कर ली हैं। सोलर पंप भी शो पीस बना है। इन परिवारों की बदहाली आलम यह है कि मुख्य सड़क से इनकी आबादी तक पक्की सड़कए खड़ंजा या सीसी मार्ग कुछ भी नहीं है। जबकि इलाके में लोगों के घर.घर तक सीसी मार्ग बनाए गए हैं। यहां के निवासी शनि बिष्ट, लक्ष्मण सिंह जेठा और जसमती देवी का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से लगातार पेयजल कनेक्शन की मांग कर रहे हैं लेकिन उन्हें कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों से उनकी मांग को अनसुना कर दिया गया है। स्थानीय विधायक से भी लोग नाराज दिखे। उनका कहना है कि विधायक भी उनकी नहीं सुन रहे। 2013 में धारचूला के इन विस्थापितों को कब पानी मिलेगाघ् यह बड़ा सवाल है।
पेयजल किल्लत से जूझ रहे धारचूला के विस्थापित परिवार
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