रुद्रपुर। शहर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान राज्य कर अधिकारी की मौत हो गई। गुस्साए परिजनों के साथ ही साथी अधिकारियों और कर्मचारियों ने अस्पताल परिसर में हंगामा कर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाया। करीब एक घंटे बाद परिजन शव लेकर घर चले गए। मूल रूप से ग्राम तुरका तिसौर, सितारगंज निवासी देवेंद्र राणा (50) राज्य कर विभाग में राज्य कर अधिकारी के पद पर तैनात थे। वे गंगापुर रोड में एक मकान में रहते थे। देवेंद्र के भतीजे मनोज सिंह राणा ने बताया कि बृहस्पतिवार की सुबह 11 बजे देवेंद्र को दिल में परेशानी हुई तो वे खुद कार चलाकर किच्छा रोड पर स्थित एक निजी अस्पताल में जांच कराने गए थे। डाक्टर ने जांच के बाद उनको भर्ती कर लिया। उनका आरोप है कि देवेंद्र को देखने कोई वरिष्ठ हृदय रोग डाक्टर नहीं पहुंचा था और शाम के समय एंजियोग्राफी कराई गई। इस दौरान 80,000 हजार रुपये जमा करा दिए। किसी भी परिजन को उनसे मिलने नहीं दिया गया। शुक्रवार सुबह करीब पांच बजे अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि उनकी मौत हो गई। उनकी मृत्यु की वजह भी साफ नहीं बताई गई।
सूचना पर जीएसटी ज्वाइंट कमिश्नर डीएस नबियाल, डिप्टी कमिश्नर शिवेंद्र कुमार, ज्ञानचंद्र, स्मिता, राज्य कर अधिकारी प्रकाश त्रिवेदी, अनिल सिंह सहित कई अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही करने का आरोप लगाया। करीब एक घंटे तक चले प्रदर्शन के बाद लोग शांत हुए और शव लेकर सितारगंज के लिए रवाना हो गए। इस दौरान वहां पुलिस भी नहीं पहुंची। उधर, मेडिसिटी अस्पताल के निदेशक राहुल चंद ने बताया कि मरीज को हार्टअटैक आया था। इलाज के दौरान ब्रेन स्ट्रोक भी हो गया, इस वजह से उनकी मौत हो गई थी। मेदांता अस्पताल से आए कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अंकुश कौशिक ने मरीज का इलाज किया था। परिजनों को मरीज से मिलाया गया था। एसएचओ विक्रम राठौर का कहना है कि मामले में अब तक कोई तहरीर नहीं मिली है।
राज्य कर अधिकारी की मौत के बाद निजी अस्पताल में हंगामा
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