पंतनगर। पर्वतीय सहित मैदानी क्षेत्र के किसानों की जंगली जानवरों व आग से फसल की सुरक्षा एक गंभीर चिंता का विषय है। अब किसानों को इस समस्या से जल्द मुक्ति मिल जाएगी और उनकी खेती सरसब्ज रहेगी। इसके लिए कृषि एवं मानविकी महाविद्यालय (सीबीएसएच) के भौतिकी विभाग के छात्र-छात्राओं ने फायर अलार्म व लेजर सुरक्षा प्रणाली तकनीक खोज ली है। इसके मॉडल का प्रदर्शन किसान मेले में सीबीएसएच के स्टॉल पर किया गया है। विभाग प्रतिनिधि डॉ. वीरेंद्र सिंह के साथ स्टॉल पर मौजूद छात्र प्रशांत सिंह बिष्ट, रवीना गोस्वामी, गीतांजलि पाठक, चेतन पंत आदि ने बताया कि फसल की जानवरों से सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर एक लेजर पथ तैयार किया गया है। जैसे ही कोई जानवर लेजर पथ पार करेगा तो उसके लेजर की रेंज में आते ही अलार्म बजने लगता है। इसके अलावा फायर अलार्म प्रणाली में एक सेंसर लगाया गया है जो फसल में आग लगते ही अलार्म बजाकर खेत में पानी छोड़ देता है।
यह मॉडल सीमांत व पर्वतीय सहित जंगली जानवरों से परेशान किसानों को काफी पसंद आ रहा है। कई किसान इस प्रणाली को खरीदने के लिए उत्सुक भी नजर आ रहे हैं लेकिन मेले में अभी सिर्फ मॉडल ही प्रदर्शित किया गया है। इसका व्यावसायिक उत्पादन होने के बाद ही यह यंत्र बाजार में उपलब्ध हो पाएगा। इस मॉडल की विवि कुलपति डॉ. एमएस चौहान, निदेशक शोध डॉ. एएस चौहान, निदेशक प्रसार डॉ. अनिल कुमार शर्मा, डीन संदीप अरोड़ा, मेला समन्वयक डॉ. बीसी चन्याल व बुधवार को मेला भ्रमण पर आए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी सराहना करते हुए इस क्षेत्र में आगे और काम करने व किसानों तक उनकी यह तकनीक पहुंचाने के लिए छात्रों को प्रेरित किया था।
ऐसे काम करेगी तकनीकी
पंतनगर। डॉ. वीरेंद्र सिंह ने बताया कि तकनीकी में खेत के एक कोने में लेजर बीम टॉर्च लगाकर खेत के अन्य तीन कोनों में विभिन्न एंगलों से मिरर का प्रयोग कर लेजर पथ तैयार किया गया है। साथ ही एक सेंसर व फोटो डिटेक्टर के साथ अलार्म भी लगाया गया है। जब तक प्रकाश की किरणें सामान्य रूप से पड़ती रहेंगी तब तक कोई आवाज नहीं होगी। जैसे ही कोई जानवर खेत में घुसेगा तो प्रकाश की किरणें अवरुद्ध होंगी और सेंसर अलार्म बजा देगा। इसी प्रकार खेत में आग लगते ही स्मोक डिटेक्टर अलार्म बजा देगा और मोटर संचालित स्प्रिंक्लर सक्रिय होकर खेत में पानी की बौछार शुरू कर देगा।
फायर अलार्म व लेजर सुरक्षा तकनीक से सरसब्ज होगी खेती
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