ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश में नर्सिंग स्टाफ और आशुलिपिक भर्ती मामले में संस्थान प्रशासन को कई बार शिकायतें मिली थीं, लेकिन एम्स प्रशासन ने पूरे मामले में चुप्पी साधे रखी। संदेह के घेरे में आई सभी नियुक्तियां एक पूर्व निदेशक के समय की हैं। सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है। ऐसे में पूरी संभावना है कि जल्द ही पूर्व निदेशक और नियुक्तियां करने वाली एजेंसी पर सीबीआई शिकंजा कस सकती है।
एम्स ऋषिकेश में नर्सिंग संवर्ग के 600 पदों पर एक ही राज्य के अभ्यर्थियों और कौशल परीक्षा से आशुलिपिकों को नियुक्ति देने का मामला सुर्खियों में छाया हुआ है। गौर करने वाली बात यह है कि दोनों संवर्गों पर नियुक्तियां एक पूर्व निदेशक के समय की गई थीं। इस दौरान एम्स प्रशासन को कई बार भर्ती प्रक्रिया में धांधली की शिकायत भी मिली। नियुक्तियों को लेकर केस भी दर्ज हुए, लेकिन हर बार एम्स प्रशासन ने मामले को दबा दिया। तीन फरवरी को संस्थान में हुई नियुक्तियों, उपकरणों, दवाओं और ऑक्सीजन की खरीद को लेकर सीबीआई की टीम ने एम्स में छापा मारा था। चार दिन तक चली छापामार कार्रवाई के बाद टीम एम्स से नियुक्तियों और खरीद से संबंधित प्रमुख दस्तावेज साथ ले गई थी। अब नियुक्तियों को लेकर खुलासे के बाद एक पूर्व निदेशक और नियुक्ति करने वाली एजेंसी फंसते नजर आ रहे हैं। सीबीआई की टीम कभी भी पूर्व निदेशक पर शिकंजा कस सकती है। हालांकि अभी सीबीआई ने मामले में एम्स के प्रशासनिक अधिकारियों से पूछताछ की है। वहीं एम्स प्रशासन सभी नियुक्तियां नियमानुसार होने का दावा कर रहा है और मामला जांच प्रक्रिया में होने की बात कर रहा है।
पूर्व निदेशक तक पहुंच सकती है सीबीआई जांच की आंच
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