काशीपुर। ईश्वर में अगाध आस्था रखने वाली गुरजीत कौर अपने सौम्य स्वभाव से कुंडा से गढ़ीनेगी तक महिलाओं के बीच खासी लोकप्रिय थीं। अपने व्यवहार और सूझबूझ से उन्होंने पूरे परिवार को एक सूत्र में पिरोया हुआ था। गुरजीत की हत्या से दो मासूमों के सिर से मां का साया हमेशा के लिए उठ गया। क्षेत्रवासी भी गुरजीत के निधन से सदमे में हैं। कुंडा के ग्राम भरतपुर में खनन माफिया जफर की तलाश में दबिश देने आई ठाकुरद्वारा पुलिस के साथ ज्येष्ठ उप प्रमुख गुरताज सिंह भुल्लर के परिजनों का विवाद हो गया था। इस दौरान हुई फायरिंग में भुल्लर की पत्नी गुरजीत कौर की हत्या हो गई। गुरजीत की हत्या से परिवार में शोक छा गया। वह अपने पीछे पांच साल की बेटी रिदम और चार माह के मासूम बेटे जोरावर को छोड़ गई है। मृतका के पिता जितेंद्र सिंह उर्फ बिट्टू अपने परिवार के साथ टांडा उज्जैन में रहते हैं। बच्चों की पढ़ाई के चलते वह ग्राम गिरधई मुंशी में बना मकान छोड़ आए हैं। उन्होंने तीनों बेटियों को पढ़ाया और दो बेटियों की शादी कर दी। बेटा ईष्टपाल अभी पढ़ रहा है।
जितेंद्र ने बताया कि 12 अक्तूबर की शाम करीब पौने सात बजे एक रिश्तेदार ने फोन कर उन्हें बताया कि यूपी पुलिस ने गुरजीत कौर की गोली मारकर हत्या कर दी है। वह अपनी पत्नी जसवीर कौर के साथ अस्पताल पहुंचे। बेटी का शव देखकर बेसुध हुई जसवीर को किसी तरह संभाला। जितेंद्र ने बताया कि उन्होंने तीन बेटियों को बेटा बनाकर पाला है। गुरजीत परिवार की बड़ी बेटी थी। 1989 में पैदा हुई गुरजीत ने काशीपुर के चंद्रावती कन्या महाविद्यालय से बीकॉम पास किया। शादी के बाद उसने पूरे गांव को अपना परिवार मान लिया। देवरानी को वह छोटी बहन की तरह प्यार करती थी। उसकी मौत होने पर देवरानी भी रोते-रोते कई बार बेहोश हुई। भुल्लर से मिलने आने वाले सभी लोगों का वह आदर सत्कार करती थी। परिवार को समय देने के साथ ही वह अखंड पाठ, कीर्तन आदि भी नियमित करती थीं। वह पिछले दो वर्षों से गढ़ीनेगी साधन सहकारी समिति में लिपिक के पद पर थीं। किसान मंजीत सिंह ने बताया कि उनका व्यवहार सभी लोगों के प्रति अच्छा था। घटना के बाद से जसपुर क्षेत्र की तीनों सहकारी समितियां बंद हैं।
गुरजीत की हत्या से उठा मासूमों के सिर से मां का साया
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