उत्तराखंड की पिछली विधानसभा में रावतों का वर्चस्व रहा। दो मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बार 8 रावत विधायक चुने गए। इस बार पांच रावत ही विधानसभा में चुनकर आए हैं। एक ओर जहां रावत घटे हैं, वहीं बिष्ट विधायकों की संख्या एक से चार हो गई है। विधानसभा में इस बार रावत विधायकों की संख्या पहले के मुकाबले घट गई है। पिछली बार यह संख्या आठ थी, लेकिन इस बार पांच रावत ही सदन तक पहुंच पाए। इससे रावतों की संख्या चौहानों के बराबर रह गई है। इसके अलावा चार बिष्ट विधायक बनने में सफल रहे हैं।
साल 2017 में जीतकर आए आठों रावत गढ़वाल मंडल से जीते थे, जिनमें से चार अकेले पौड़ी से जीते थे। लेकिन इस बार यह संख्या पांच ही रह गई है। उक्त पांचों फिर गढ़वाल से जीते हैं। इसमें सतपाल महाराज, दलीप रावत, डॉ. धन सिंह रावत, शैलारानी रावत, अनुपमा रावत शामिल हैं। इस बार अनुपमा और शैलारानी की ‘रावत लीग’ में एंट्री हुई है। पिछली बार के रावतों में शामिल त्रिवेंद्र रावत, हरक सिंह रावत, मनोज रावत, गोपाल रावत और केदार सिंह रावत अगल- अलग वजह से इस बार सदन में नहीं हैं। चौहान अपनी संख्या बरकरार रखने में सफल रहे। इस बार भी पांच चौहान सदन में पहुंचे हैं। इसमें चकराता से प्रीतम सिंह (चौहान) के अलावा सुरेश चौहान, मुन्ना सिंह चौहान, आदेश चौहान (जसपुर) और आदेश चौहान (रानीपुर) शामिल हैं।
चौहान क्लब से इस बार अल्मोड़ा के रघुनाथ चौहान हटें हैं तो गंगोत्री से सुरेश चौहान की नई एंट्री हुई है। इस बार सदन में चार विधायक बिष्ट हैं। इसमें रेनु बिष्ट, मदन सिंह बिष्ट, मोहन सिंह बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट शामिल हैं। पिछली बार यह संख्या एक ही थी। तीन सदस्य आर्य हैं। इसमें रेखा आर्य, यशपाल आर्य और सरिता आर्य शामिल हैं।
कैबिनेट में घट सकता है रावतों का प्रतिनिधित्व: पिछली बार शुरुआती त्रिवेंद्र केबिनेट के मुख्यमंत्री समेत नौ सदस्य थे, जिसमें से चार मंत्री रावत थे। लेकिन इस बार त्रिवेंद्र और हरक सिंह चुनाव नहीं लड़ पाए हैं। जबकि अनुपमा रावत विपक्ष से है, इस कारण कैबिनेट में भी रावतों की संख्या कम हो सकती है।
रावत घटे, बिष्ट बढ़े और चौहानों का जलवा बरकरार
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