हल्द्वानी की गार्गी यानी गौला नदी के जल से उत्तराखंड की पांच बरसाती नदियों को सदावाहिनी बनाया जाएगा। इसके लिए सिंचाई विभाग 70 करोड़ रुपये की लागत से तराई फीडर और चैक फ्री फीडर का निर्माण करेगा। ये नहरें टांडा के जंगलों से होकर गुजरेंगी। इनसे यूपी के समीपवर्ती जिलों के चार और उत्तराखंड के पांच छोटे डैम भी रिचार्ज होंगे। जमरानी बांध परियोजना से यूपी और उत्तराखंड की सिंचाई और पेयजल की जरूरतें पूरी होनी हैं। सिंचाई विभाग ने जमरानी बांध से बरेली और रामपुर जिले तक पानी पहुंचाने के लिए खाका तैयार कर लिया है। इसके अतिरिक्त विभाग ने गर्मियों में सूखने वाली नदियों को रिचार्ज करने के लिए भी प्लान तैयार किया है। सिंचाई विभाग हरिपुरा फीडर से तराई फीडर और चैक फ्री फीडर का निर्माण करेगा। तराई फीडर की लंबाई 18.56 किलोमीटर और चैक फ्री फीडर 2.68 किलोमीटर लंबी होगी। ये नहरें पंतनगर से जगदीशपुर के बीच टांडा जंगल से निकलने वाली बरसाती नदियों को रिचार्ज करेगी।
पांच बरसाती नदियां होंगी रिचार्ज
तराई फीडर और चैक फ्री फीडर से टांडा के जंगलों से निकलने वाली पांच बरसाती नदियां रिचार्ज होंगी। जमरानी परियोजना इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय कुमार सिंह ने बताया कि तराई फीडर से हल्दी, बैगुल, ढिमरी और खैरिया नदी को रिचार्ज किया जाएगा जबकि चैक फ्री फीडर से चैक फ्री नदी को रिचार्ज किया जाएगा। ये पांचों नदियां गर्मी के दौरान सूख जाती है। जमरानी बांध के अस्तित्व में आने के बाद ये नदियां भी सदानीरा हो जाएंगी। इससे गर्मी के मौसम में भी पंतनगर, रुद्रपुर और यूपी के रामपुर जिले के कुछ हिस्सों में सिंचाई की आपूर्ति होगी।
यूपी बॉर्डर के चार और उत्तराखंड के पांच छोटे डैम होंगे रिचार्ज
जमरानी परियोजना इकाई के प्रोजेक्ट मैनेजर संजय कुमार सिंह ने बताया कि तराई फीडर और चैक फ्री फीडर बनने से यूपी बॉर्डर के चार और उत्तराखंड के पांच रेग्यूलेटर (छोटे डैम) रिचार्ज होंगे। गर्मी के मौसम में यहां पानी की किल्लत रहती है। तराई फीडर से यूपी बॉर्डर के बरा, बरई, भगिया और फैजलपुर रेग्यूलेटर को पानी की आपूर्ति होगी। साथ ही उत्तराखंड के जगदीशपुर, ढिमरी, कल्याणी कनेटा रेग्यूलेटर को पानी मिलेगा जबकि चैक फ्री फीडर से कोटा और खमरिया रेगुलेटर को पानी मिलेगा। हरिपुरा फीडर से तराई फीडर और चैक फ्री फीडर दो नहरें जंगलों के बीच से होकर गुजरेंगी। इनसे पंतनगर से जगदीशपुरा के बीच प्राकृतिक स्रोतों को रिचार्ज किया जाएगा। ये स्रोत गर्मियों में सूख जाते हैं। नहरों के जरिये बरसाती नदियों के स्रोत में पानी छोड़ा जाएगा। दोनों नहरों के निर्माण के लिए वन भूमि हस्तानांतरण की प्रक्रिया भी चल रही है। – ललित कुमार, उप महाप्रबंधक, जमरानी परियोजना इकाई।
गौला नदी के जल से सदावाहिनी होंगी उत्तराखंड की पांच बरसाती नदियां
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