रुद्रपुर। जिला मुख्यालय रुद्रपुर के सरकारी अस्पतालों में ट्रामा सेंटर नहीं होने से आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। रुद्रपुर जिला अस्पताल की इमरजेंसी को ट्रामा सेंटर की भांति चलाया जा रहा है लेकिन पर्याप्त उपकरण व डॉक्टरों की कमी के कारण गंभीर रूप से घायलों को तात्कालिक स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है।
कोरोना महामारी के बाद रुद्रपुर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं थोड़ी बहुत बढ़ी हैं लेकिन अभी तक यहां ट्रामा सेंटर की सुविधा उपलब्ध नहीं है। ट्रामा सेंटर न होने से सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को तत्काल बेहतर इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है। रुद्रपुर में प्रतिमाह करीब 100 से अधिक लोग सड़क दुर्घटनाओं व अन्य हादसों में घायल हो रहे हैं। सिडकुल की फैक्ट्रियों व निर्माण कार्यों के मजदूर भी घायल होते हैं। गंभीर रूप से घायल लोग इलाज के लिए जिला अस्पताल पर ही निर्भर हैं, लेकिन यहां ट्रामा सेंटर न होने से मरीजों को इमरजेंसी में प्राथमिक इलाज के बाद इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया जा रहा है। यहां सर्जन, हड्डी रोग विशेषज्ञ व अन्य डॉक्टरों की सुविधा नहीं हैं। कई बार गंभीर रूप से घायल लोगों को हायर सेंटर रेफर करना पड़ रहा है।
इस संबंध में सीएमओ डॉ. सुनीता चुफाल रतूड़ी कहती हैं कि जिला अस्पताल में फिलहाल ट्रामा सेंटर की सुविधा नहीं है लेकिन जिला अस्पताल के रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में मर्ज होने के साथ ही यहां ट्रामा सेंटर की सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी। वर्तमान में मेडिकल कॉलेज का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है।
रुद्रपुर के विकास के साथ ही सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ीं
रुद्रपुर। औद्योगिक नगरी के रूप में विकसित रुद्रपुर में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ भी तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2003 में सिडकुल की स्थापना और हाईवे चौड़ीकरण के साथ ही वाहनों की संख्या भी बढ़ी है। रुद्रपुर के मार्गों पर स्थानीय के साथ ही बाहरी राज्यों के वाहनों की आवाजाही भी बढ़ी है। इससे सड़क दुर्घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं। खासकर युवाओं के तेज गति के साथ ही बगैर हेलमेट व ट्रिपल राइडिंग करते हुए वाहन चलाने से भी सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं लेकिन इस समस्या पर न तो प्रशासन गंभीर नजर आता है न ही यातायात पुलिस अथवा परिवहन विभाग।
बगैर ट्रामा सेंटर चल रहे जिला मुख्यालय के सरकारी अस्पताल
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