द्वाराहाट (अल्मोड़ा )। बिखौती मेले के तहत उत्तराखंड की काशी के नाम से विख्यात विमांडेश्वर में बृहस्पतिवार रात्रि आल, गरख और नौज्यूला धड़े के 14 जोड़ों ने नगाड़े निशान केसाथ भाग लेकर मेले की प्राचीन, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर को बचाए रखने का संदेश दिया। बिखौती मेले में शामिल होने वाले नगाड़े निशान वाले गावों में रणां, तल्ला विठोली, वलना, सिमलगांव, असगोली (सुनखोला), असगोली (मलखोला), बेढूली, गवाड़, कोटीला, कुई, बसेरा, छतगुल्ला, बूंगा और सलना के ग्रामीण तुतुरी, मशकबीन, हुड़के और चिमटे आदि वाद्य यंत्रों के साथ झोड़े चांंचरी गाते हुए अपने निर्धारित डेरों में पहुंचे। वहां झोड़े चांचरी गाए गए। सुबह गुप्त सरस्वती, सुरभि, नंदिनी की त्रिवेणी में स्नान और मंदिर में पूजा अर्चना कर अपने गांव को वापस लौटे। इस दौरान बूंगा के युवाओं ने मंदिर परिसर में डांडिया नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। संवाद
बिखौती मेले में नगाड़े, निशान के साथ देर रात तक हुआ झोड़ा गायन
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