सर्वानन्द घाट पर जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी की रिहाई का इंतजार कर रहे जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर और धर्म संसद के संयोजक यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद ने धर्म संसद की आलोचना करने वाले तथाकथित संतों को गंगाजल हाथ में लेकर शास्त्रार्थ की चुनौती दी है। शास्त्रार्थ में पराजित होने पर उन्होंने जल समाधि लेने का संकल्प भी लिया। अपने संकल्प के विषय मे बताते हुए महामंडलेश्वर ने कहा कि धर्म संसद को लेकर सनातन के कुछ संत अनर्गल प्रलाप कर रहे हैं। ऐसे संत किसी न किसी राजनैतिक दल से जुड़े हुए हैं और उनकी निष्ठा धर्म के नहीं बल्कि अपने राजनैतिक आकाओं के साथ है। हमें मर्यादाओं का पाठ पढ़ाने वाले आज कहां मुंह छिपाकर बैठे हैं। जब विश्व का सबसे बड़ा संगठन जमीयत उलमा ए हिन्द खुलकर बम विस्फोट कर निर्दोषों की हत्या करने वालों के पक्ष में खुलकर खड़ा हो गया है। हरिद्वार नगर में बड़े-बड़े तथाकथित धर्मगुरुओं ने जमीयत उलमा ए हिन्द के मौलानाओं को अपने मंचों पर बुलाकर महामंडित किया है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को हम दोनों संन्यासी रामायण, श्रीमद्भागवत, श्रीमद्भगवद गीता, कुरान और इस्लामिक इतिहास के आधार पर शास्त्रार्थ की चुनौती देते हैं। कहा कि हम जो कर रहें हैं ये ही धर्म का सबसे आवश्यक कार्य है। यदि हम धर्म पर आए हुए इतने विकट संकट को देखकर भी अनदेखा करते हैं तो यह धर्म के साथ विश्वासघात है। अपने आप को धार्मिक समझने वाले प्रत्येक सनातनी को इस समय अपने व्यक्तिगत, सम्प्रदायगत, जातिगत व संस्थागत अहंकारों और स्वार्थों को छोड़कर धर्म की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए। जो ऐसा नहीं करता, वह स्वयं को धार्मिक कहलाने का अधिकारी नहीं है। इस सिद्धांत पर शास्त्रार्थ के लिए हम दोनों अपने सभी विरोधियों को चुनौती दे रहे हैं। यह शास्त्रार्थ हरिद्वार में मां गंगा के तट पर होगा जिसमें यदि हम दोनों पराजित होते हैं तो मां गंगा की गोद मे जल समाधि ले लेंगे। कहा कि इस शास्त्रार्थ का प्रसारण पूरी दुनिया में होगा और हिंदू समाज ही इसमें हार-जीत का निर्णय करेगा। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी और स्वामी अमृतानंद महाराज के संकल्प लेते समय स्वामी शैव शून्य, विक्रम सिंह यादव, सनोज शास्त्री, डॉ. अरविंद वत्स, डीके शर्मा आदि भक्तगण उपस्थित थे।
हेट स्पीच:यति नरसिंहानंद ने धर्म संसद पर फिर भरी हुंकार, धर्माचार्यों को दी शास्त्रार्थ की खुली चुनौती
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