इस बार होली खेलिए घर में ही परिवार –मित्रों के सहयोग बने प्राकृतिक –हस्तनिर्मित –रसायन मुक्त गुलाल के साथ I यह गुलाल बनाया है हिमांशु बहुगुणा और उनके परिवार के सदस्यों ने ,अपने ही गाँव की महिलाओं के साथ मिलकर ,अपने ही घर में I पीला और नारंगी गुलाल बना है हल्दी से , हरा रंग बना है सब्जियों के रस से ,गुलाबी रंग चुकंदर के रस से और बैंगनी रंग बना है बैंगनी गोभी के रस से I रंगों में खुशबू शमिल करने के लिए प्राकृतिक इत्र का प्रयोग किया गया है I सभी रंग अरारोट के आटे से बने हैं I गुलाल बनाते हुए इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि आपकी त्वचा –आँखों –होंठो पर प्रतिकूल असर न पड़ेI
हिमांशु बहुगुणा , टेलीकॉम मल्टीनेशनल कम्पनी एरिक्सन में इंजीनियर की नौकरी किया करते थे ,उनकी पत्नी एमसीए करने के बाद चंडीगढ़ स्थित कम्पनी में नौकरी पर थी ,चाची स्कूल में शिक्षिका I तीनों ने ही नौकरी छोड़ ऐसा स्वरोजगार अपनाने का प्रयास किया ,जिसमें वे स्वयं परिवार के साथ रहते हुए प्रकृति-सह आजीविका ( कृषि -बागवानी -गोपालन – जैविक उत्पाद आदि ) का उपार्जन करते हुए ,पास पडौस के निवासियों को भी रोजगार उपलब्ध कराये ,ताकि गाँवों से पलायन को कम करने में सहायत मिल सके I सन 2020 में 300 किलो प्राकृतिक गुलाल के उत्पादन से प्रारंभ किया गया था , गत वर्ष 700 किलो गुलाल बनाया गया था , जिसे राजस्थान ,दिल्ली ,मुंबई ,हरियाणा ,मध्यप्रदेश,उत्तराखंड के कई परिवारों द्वारा स्नेह से अपनाया गया I इस वर्ष 2000 किलो गुलाल बनाने का लक्ष्य है I चूँकि रंग बनाने के लिए मशीनों की बजाय मानवीय श्रम का ही उपयोग होता है ,अतः उत्पादन सीमित ही है I लक्ष्य है ,परिवार –प्रकृति के साथ जीते हुए परिवार–प्रकृति का संवर्धन करना , मानवीय –प्रकृति के रिश्तों को मजबूत करना
होली …रंगों का त्यौहार …परिवार –मित्रों के साथ रंग भरे उल्लास का पर्व
RELATED ARTICLES