Tuesday, December 10, 2024
Homeउत्तराखण्डऐसे कैसे चलेंगी उत्तराखंड रोडवेज बसें, घाटा हुआ दोगुना;तीन साल में 200...

ऐसे कैसे चलेंगी उत्तराखंड रोडवेज बसें, घाटा हुआ दोगुना;तीन साल में 200 बस हुई कम

उत्तराखंड रोडवेज को अस्तित्व बचाने के लिए जल्द संभलना होगा। रोडवेज के बस बेड़े में तीन साल के भीतर दो सौ बसें कम हो गई हैं। वहीं, कोरोनाकाल में घाटा 250 करोड़ से बढ़कर 520 करोड़ रुपये पहुंच गया है। हालत इतने खराब हैं कि रोडवेज पाई-पाई जुटाकर कर्मचारियों के वेतन का इंतजाम कर रहा है। ऐसे में रोडवेज को बचाने के लिए ठोस योजना बनाने की जरूरत है।
यूपी से अगल होकर अक्तूबर 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम बना। तब रोडवेज के हिस्से 957 बसें आई थीं। इसके बाद कभी 25 तो कभी 50 बसों की खरीद हुई। 2016 में तत्कालीन हरीश रावत की सरकार में 484 बसें खरीदी गईं। तब बेड़ा 1520 बसों तक पहुंच गया था।
2018 तक यही बेड़ा रहा। इसके बाद 2019 में 300 बसों की खरीद हुई। खरीद के साथ ही हर साल आयु और किलोमीटर पूरा करने वाली बसें नीलाम भी होती रहीं। इससे मौजूदा समय में रोडवेज का बस बेड़ा 1330 पहुंच गया है। तीन साल के भीतर रोडवेज में 200 बसें घट गई हैं। अभी नई बसों की खरीद की कोई योजना नहीं है, यदि योजना बने भी तो करोड़ों के घाटे से जूझ रहे रोडवेज के लिए बस खरीदना चुनौती है। रोडवेज कुप्रबंधन का शिकार है। यूपी के दौरान जो तकनीकी खर्च था, वह आज ढाई गुना हो गया है। तकनीकी खर्च और कार्यालयों की उत्पादकता बहुत खराब है। सिर्फ ड्राइवर-कंडक्टरों का प्रदर्शन संतोषजनक है। यूपी से जो परिसंपत्तियों के 800 करोड़ रुपये मिलने हैं, उसके लिए भी कर्मचारी यूनियन को ही न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है। – अशोक चौधरी, महामंत्री, उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन
दो सौ बसों का बेड़ा घटा है। निगम की आय बढ़ाने के लिए हर तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। होली तक हम सभी बसों को ऑन रोड कर देंगे। कोरोनाकाल के कारण घाटा बढ़ा है। – दीपक जैन, महाप्रबंधक (संचालन), रोडवेज

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments